सर्वदलीय सांसदों के डेलिगेशन से यूसुफ पठान आउट.. सामने आई बड़ी वजह, भाजपा को उल्टा पड़ा दांव

देश में पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सर्वदलीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल बनाया है, जो विश्व के अलग-अलग देशों का दौरा करेगा। लेकिन इस रणनीति में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद यूसुफ पठान के नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यूसुफ पठान ने बिना पार्टी की सहमति के प्रतिनिधिमंडल में शामिल किए जाने के बाद अपना नाम वापस ले लिया है। इस मामले को लेकर TMC ने केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

यूसुफ पठान ने डेलिगेशन से नाम वापस लिया

तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान ने सोमवार को उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से अपना नाम वापस ले लिया, जो पाकिस्तान के खिलाफ भारत के रुख को मजबूत करने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों का दौरा करेगा। यूसुफ पठान ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा बिना किसी परामर्श के उनके नाम की घोषणा किए जाने पर आपत्ति जताई है। यूसुफ पठान, जो बहरामपुर से पहली बार सांसद हैं, ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को हराकर यह सीट जीती थी।

TMC का विरोध और केंद्र सरकार पर सवाल

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार तृणमूल के प्रतिनिधि का फैसला कैसे कर सकती है, जबकि इस विषय पर विपक्ष से चर्चा करना आवश्यक था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बीजेपी की जिम्मेदारी नहीं कि वह तय करे कि TMC किस सांसद को भेजेगी। अभिषेक बनर्जी ने यह भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को राजनीतिकरण नहीं किया है, और पार्टी बैठक का बहिष्कार नहीं कर रही है, बल्कि उचित सम्मान और प्रक्रिया की मांग कर रही है।

सुदीप बंदोपाध्याय ने किया था डेलिगेशन में शामिल होने से इनकार

TMC के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि केंद्र सरकार ने सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा नेता सुदीप बंदोपाध्याय से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए डेलिगेशन में शामिल होने से मना कर दिया था। इसके बाद भी सरकार ने किसी अन्य तृणमूल नेता से परामर्श किए बिना सीधे यूसुफ पठान का नाम घोषित कर दिया, जिससे पार्टी में असंतोष पैदा हुआ।

भारत की कूटनीतिक रणनीति और “ऑपरेशन सिंदूर”

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने के लिए बड़े कूटनीतिक दांव शुरू किए हैं। “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सर्वदलीय सांसदों के डेलिगेशन को दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजा जा रहा है ताकि भारत का रुख मजबूती से प्रस्तुत किया जा सके। इस रणनीति के तहत संसद के विभिन्न दलों के सांसदों को शामिल किया जाना था, लेकिन बिना उचित संवाद के तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि चयन ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है।

 

 

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