जब साल में 3 बार मुख्यमंत्री बने थे चौटाला !

हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार का हमेशा से बड़ा योगदान रहा है। हरियाणा के निर्माण से लेकर किंगमेकर की भूमिका निभाने तक चौटाला परिवार ने हरियाणा के इतिहास में हमेशा योगदान दिया है। इन्ही चौटाला में से एक ओम प्रकाश चौटाला ने कुछ ऐसा कारनामा किया था कि एक साल के अंदर वो 3 बार मुख्यमंत्री बने थे।

दरअसल देवीलाल चौटाला ने 1982 से ही ओमप्रकाश चौटाला को दरकिनार कर रणजीत सिंह को राजनीतिक विरासत सौंप रखी थी। 1989 के चुनावों में भारी बहुमत से जीतने के बाद देवीलाल मुख्यमंत्री बन गए थे। लेकिन 2 दिसंबर 1989 को देवीलाल केंद्र की वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उपप्रधानमंत्री बने तो हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद खाली रह गया। मुख्यमंत्री का पद खाली होते ही देवीलाल परिवार में सत्ता की लड़ाई छिड़ गई। ऐसे में ओमप्रकाश चौटाला ने देवीलाल को प्रभाव में लेते हुए कुछ इस तरह पारिवारिक तख्तापलट किया कि खुद मुख्यमंत्री बन गए।

1 महीने में ही गिरी चौटाला सरकार

वे मुख्यमंत्री बन तो गए लेकिन मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्हें छह महीने में चुनाव लड़कर विधायक बनना था। इसलिए 1990 में उन्होंने महम से चुनाव लड़ा। महम में चुनाव के दौरान हुए महम कांड में हुई हिंसा का पूरे भारत में विरोध हुआ। राजीव गांधी ने भी महम पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र के दबाव के चलते ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उनके इस्तीफा देने के बाद बनारसी दास को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालाँकि वे महज 52 दिनों के लिए ही सीएम रहे।

विधायकों का समर्थन प्राप्त कर ओमप्रकाश चौटाला एक बार फिर सीएम बन गए। लेकिन इस बार 6 दिन में ही बगावत हो गई और ओमप्रकाश चौटाला को एक बार फिर इस्तीफा देना पड़ा। इस बार हुकम सिंह को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया। वे 248 दिन मुख्यमंत्री रहे।

आख़िरकार इन्हे उठानी पड़ी ज़िम्मेदारी

इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद कब्ज़ा कर लिया। लेकिन इस बार भी कई विधायकों के विरोध में आने की वजह से 16 दिन के बाद ही, ओमप्रकाश चौटाला को फिर से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। वहीँ ओमप्रकाश चौटाला ने इस बीच इनेलो की कमान अपने हाथो में ले ली थी।

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