दिल्ली में शुरू होगी नई टेक्नॉलजी, पराली से सीधा खेत में बनाई जाएगी खाद : गोपाल राय

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लोगों को हर साल जाड़े के दिनों में पराली के धुंए की वजह से सांस लेने में होने वाली समस्या का समाधान होने की उम्मीदें बढ़ गई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, दिल्ली का दौरा करके यहां केमिकल की मदद से पराली से खेत में ही सीधे खाद बनाने की विकसित की गई तकनीक (बाॅयो डी-कंपोजर) का डेमोस्ट्रेशन देखा। इस तकनीक की मदद से खेतों में पराली जलाने की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है और अगर ऐसा होता है, तो दिल्ली वालों को जाड़े के दिनों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के खेतों में जलाई जाने वाली पराली के धुंए की वजह से सांस लेने में होने वाली समस्या का समाधान हो जाएगा। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के किसानों को दिल्ली सरकार सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, जबकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को वहां की सरकारें सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी। इसके लिए हम राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से बात करेंगे।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर खासतौर पर जाड़े के समय में प्रदूषण की समस्या भयंकर रूप से उत्पन्न होती है। पिछले साल हमने देखा था कि दिल्ली का जो प्रदूषण है, उसके अलावा 44 प्रतिशत पराली की वजह से नवंबर के महीने में दिल्ली के लोगों को सांस के संकट का सामना करना पड़ा था। दिल्ली के अंदर पराली बहुत कम पैदा होती है, लेकिन पंजाब के अंदर 20 मिलियन टन पराली पैदा होती है। जिसमें से पिछले साल का जो आंकड़ा है, वहां पर करीब 9 मिलियन टन पराली जलाई गई है। हरियाणा के अंदर करीब 7 मिलियन टन पराली पैदा होती है, जिसमें से 1.23 मिलियन टन पराली जलाई गई थी और उसकी वजह से दिल्ली के लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ा था।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि “केंद्र सरकार ने एक योजना बनाई है, जिसमें पराली के लिए किसानों को कुछ मदद दी जाती है, उसके लिए मशीन खरीदी जाती है, जिसमें आधा पैसा किसानों को देना पड़ता है और आधा पैसा सरकार देती है। अभी पिछले दिनों हमारी पूसा के डाॅयरेक्टर से मुलाकात हुई थी। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की है, जो अगर डी-कंपोजर के माध्यम से खेत में ही पराली पर केमिकल का छिड़काव किया जाए, तो वहीं पर पराली खाद बन सकती है। आज उसी का डिमोस्ट्रेशन देखने के लिए हम यहां आए हैं। यहां पर हमने कुछ किसानों को भी बुलाया है, उनसे भी बात करेंगे। हम चाहते हैं कि इसके छिड़काव में जो भी खर्चा आए, वह सरकार उठाएगी। हम चाहते हैं कि किसानों को पर कोई भी आर्थिक बोझ न पड़े और सरकार की तरफ से ऐसी व्यवस्था बने कि पूरी पराली का समाधान हो सके।

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इसकी सफलता के बाद हम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों से भी संपर्क करेंगे, क्योंकि बहुत से किसान कहते हैं कि हम कैसे करें? हमारे पास पैसा नहीं है? इसलिए हम चाहते हैं कि अगर यह मॉडल सफल होता है, तो हरियाणा, पंजाब और यूपी में भी यह लागू किया जाए, जिससे कि सरकारें पराली की समस्या का निदान कर सकें। किसानों को भी दिक्कत न हो और दिल्ली वालों को भी सांस लेने में दिक्कत न हो। इसी मकसद के साथ हम यहां आए है। यदि यह योजना सफल होती है, तो हम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकार से बात करेंगे, वहां की सरकारें अपने किसानों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी। दिल्ली में जो किसान हैं, उनको दिल्ली सरकार सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।

गोपाल राय ने कहा कि मेरा अंदाजा यह है कि जो अभी इस पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है, वह बहुत ज्यादा नहीं है, जितना मशीनों की खरीद के लिए सब्सिडी दी जा रही है, उतने ही पैसे में पूरे पराली को डी-कंपोज किया जा सकता है। इसकी सफलता के बाद किसानों के ऊपर जो आर्थिक बोझ है, वह खत्म हो जाएगा। मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ी सफलता होगी। अभी हमने इस तकनीक को देखा है और अब हम मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करेंगे और पुरे कार्य की योजना बनाएंगे। हम सभी का मकसद एक ही है और हम सभी चाहते हैं कि यह समस्या दूर हो। मुझे लगता है कि यह तकनीकी पूरे देश के लिए सहायक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने आश्वास्त किया कि दिल्ली में इस योजना पर जो भी लागत आएगी, उसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए हम वहां की सरकारों से बात करें।

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