नेता जी ने अखिलेश को ‘क्यों बनाया मुख्यमंत्री’ inside story

अपने काम के दम पर पूरे देश में ताल ठोकने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किस तरीके से मुख्यमंत्री बने आइए आपको उस कहानी की इनसाइड स्टोरी बताते हैं इनसाइड स्टोरी बहुत ही कम लोगों को पता है।

बहुत कम लोग जानते हैं कि अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री क्यों बनाया और क्या कारण रहा कि मुलायम सिंह यादव खुद मुख्यमंत्री ना बनके अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिए, राजनीतिक पंडित और मुलायम सिंह के करीबी दोनों का मानना अलग अलग है।

कहानी शुरू होती है अखिलेश के प्रदेश अध्यक्ष बनने से, उत्तर प्रदेश के 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी बुरी तरीके से बीएसपी से हार चुकी थी मायावती ने 2007 में पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाई जिसमें मायावती ने 210 विधायकों के साथ जीत कर विधानसभा पहुंचे, उस वक्त लगा कि समाजवादी पार्टी अब उत्तर प्रदेश में काफी कमजोर हो रही है।

जिसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया और अखिलेश ने उत्तर प्रदेश में दौरे कर करके उत्तर प्रदेश के तमाम जन समस्याओं को इतना उठाया की जनता अखिलेश की तरफ देखना शुरु कर दी, उसी दौरान अखिलेश ने अपनी एक नई युवा टीम बनाई और उस टीम के साथ अखिलेश 2012 के विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में अपने रथ को लेकर चल पड़े, अखिलेश ने अपनी रथयात्रा बलिया से शुरू की और पूरे प्रदेश के हर विधानसभा में कई बार दौरा किया, उस वक्त अखिलेश ने पहली बार टेक्नोलॉजी को चुनाव में उतारा था।

अखिलेश के लगातार जमीन पर सीधा जनता से मुलाकात करने से लेकर टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को देखते हुए समाजवादी पार्टी के अंदर कई पुरानी नेताओं को समाजवादी पार्टी का भविष्य दिखाई देने लगा और वही नजरिया मुलायम सिंह यादव का भी था मगर कई नेता ऐसे थे जिनको मुख्यमंत्री बनने की चाह थी उनको अखिलेश की लोकप्रियता से दिक्कत हो रही थी।

मगर उस वक्त चुनाव में कोई रणनीति किसी की काम नहीं आई क्योंकि ना तो अखिलेश जितना किसी के पास युवाओं का संगठन था और ना तो उस तरीके की रणनीति बनाकर लोगों के साथ संपर्क करने का तरीका और मुलायम सिंह यादव कि ऊपर से चुनाव प्रचार का बोझ पूरी तरीके से खत्म हो चुका था और फिर अखिलेश ने भी 2012 के चुनाव को जीतने के लिए दिन रात एक कर दिया था,फिर 2012 में विधानसभा चुनाव की वोटिंग हुई और जब वोटों की गिनती की गई तो समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत से जीतकर लगभग 230 विधायकों के साथ विधानसभा पहुंची।

उस वक्त उत्तर प्रदेश में यह चर्चा थी कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव शिवपाल यादव आजम खान या रामगोपाल यादव इस सभी का फैसला खुद मुलायम सिंह को लेना था।

वही पार्टी में कार्यकर्ताओं के बीच यह बातचीत आम थी कि अखिलेश यादव ने सबसे ज्यादा मेहनत करके समाजवादी पार्टी को सत्ता में लाया है।

13 मार्च 2012 को नेता जी ने यह तय कर दिया कि अखिलेश प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे नेता जी का यह निर्देश आने के बाद कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई मगर समाजवादी पार्टी के अंदर एक और राजनीति चल रही थी उस पर भी। लग गया।

2012 में जब समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही थी तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवपाल सिंह यादव आजम खान और रामगोपाल यादव की नजर थी और यह बात मुलायम सिंह यादव को अच्छे से पता था कि अगर वह अखिलेश को मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे तो पार्टी और सरकार आने वाले समय में दोनों उनके हाथ से चली जा सकती है। वही अखिलेश के कामों को देखते हुए यह साफ था कि अखिलेश अब इस लायक है कि वह मुख्यमंत्री बन सकते हैं क्योंकि जनता से सीधे अखिलेश का जुड़ा था।

मगर रामगोपाल शिवपाल और आजम में पार्टी के अंदर ही शीत युद्ध जारी था रामगोपाल चाहते थे कि वह मुख्यमंत्री बने शिवपाल चाहते थे कि वह मुख्यमंत्री बने और आज हम चाहते थे कि नेताजी के करीबी होने के नाते मुख्यमंत्री वह बने और नेता जी इनमें से किसी को भी सरकार की कमान नहीं देना चाहते थे।

सूत्रों की मानें तो नेता जी से 11 और 12 मार्च को तीनों नेताओं ने मुलाकात की और मुख्यमंत्री दावेदार की बारे में भी पूछा मगर मुलायम सिंह यादव कार्यकर्ताओं के फीडबैक का इंतजार कर रहे थे, और जब मुलायम सिंह को यह पता चला कि कार्यकर्ताओं ने यह चाहा है कि अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो मुलायम सिंह यादव का मन स्पष्ट हो चुका था कि अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना है और अखिलेश मुख्यमंत्री बनते हैं तो इससे पार्टी के अंदर जो शीत युद्ध चल रहा है रामगोपाल शिवपाल और आजम के बीच वह भी खत्म हो जाएगा यही कारण था कि अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री बना दिया।

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