रमज़ान में रमेश चंद के दाह संस्कार की जिम्मेदारी उठा मुस्लिम समाज ने दिया गंगा जमुनी-संस्कृति का संदेश

मेरठ। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान जमातियों को लेकर जहां सोशल मीडिया पर अलग-अलग संप्रदायों के आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक दलों के बीच भी अघोषित वॉर छिड़ी हुई है। ऐसे में कोतवाली थाना क्षेत्र में देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को दर्शाने वाला एक मामला सामने आया है। जहां एक अधेड़ हिंदू की मौत के बाद जात-पात के बंधन को भुलाते हुए मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने मृतक के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया है। मुस्लिम समाज के नागरिकों के इस कदम से एक बार फिर साबित हो गया है कि चाहे राजनैतिक दल अपने स्वार्थ के लिए दो धर्मो के बीच वैमनस्य की कितनी भी बड़ी दीवार खड़ी क्यों न कर दें। लेकिन जब बात मानवता की हो तब कोई जाति या धर्म मानवता से बड़ा नहीं हो सकता।

दरअसल, शाहपीर गेट इलाके में स्थित कायस्थों की धर्मशाला में वर्षों से रमेश माथुर का परिवार रह रहा है। रमेश का एक पुत्र मेरठ में तो एक दिल्ली में रहता है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक लंबी बीमारी के चलते मंगलवार को अधेड़ रमेश माथुर की मौत हो गई। जिसके बाद क्षेत्र के मुस्लिम मृतक के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए। मुस्लिम संप्रदाय के क्षेत्रवासियों ने रमजान के बावजूद कोई परहेज ना मानते हुए रमेश के अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी की। इसके बाद उनके शव को कंधा देकर अंतिम संस्कार में परिवार के लोगों के साथ खड़े रहे। क्षेत्र के सभी निवासियों का कहना है कि वह बरसों से एक परिवार की तरह रहते आए हैं। उन्होंने शहर के सभी लोगों से भी भाईचारे के साथ रहने की अपील की।

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