सांसद सदन की मर्यादाओं के अनुरूप आचरण करें :ओम बिरला

नयी दिल्ली, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के बजट सत्र में सदन की कार्यवाही के सुचारु संचालन में सहयोग के लिए सभी सदस्यों एवं दलों के नेताओं के प्रति आभार व्यक्त किया है और अपेक्षा की है कि सदन में तीखे वाद-विवाद के बावजूद आचरण की मर्यादाओं को ध्यान रखा जाएगा।

बिरला ने बजट सत्र के प्रथम चरण केे अंतिम दिन शनिवार को संसद भवन में अपने कार्यालय में संवाददाताओं से मुलाकात में कहा, “सदन में चर्चा और संवाद से गरिमा बढ़ती है और मर्यादा बनती है। सदस्यों से अपेक्षा है कि वे सदन की विश्व भर में प्रतिष्ठा का ध्यान रखते हुए सदन की मर्यादाओं के हिसाब से आचरण करेंगे। संसद में कभी कभी वाद-विवाद तीखा हो जाता है लेकिन इसे संवाद से दूर किया जाता है। हमारी कोशिश है कि सदन में उच्चकोटि का संवाद एवं विचार विमर्श हो।”

अध्यक्ष से पूछा गया था कि इस छोटे से सत्र में विशेषाधिकार हनन के चार नोटिस मिले हैं जिनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा के खिलाफ नोटिस शामिल हैं, ऐसे में सदन की मर्यादा को बनाये रखने के लिए बतौर अध्यक्ष वह क्या कदम उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार हनन के नोटिस संसदीय मर्यादाओं में आतंरिक मामला है। सदन नियम प्रक्रिया से चलता है। उसी के अनुरूप चलेगा।

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 बिरला ने इससे पहले कहा कि संसद के बजट सत्र में पहले सप्ताह में गतिरोध को उन्होंने सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके दूर किया। इसके बाद देर रात तक सदन चला कर गतिरोध की भरपायी की और विधायी कामकाज पूरा किया। इसके लिए वह सदस्यों, पार्टियों के नेताओं और नेता सदन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर कुछ 16 घंटे 39 मिनट चर्चा हुई जिसमें 130 सदस्यों ने भाग लिया। बजट पर चर्चा का समय 10 घंटे निर्धारित था लेकिन 14 घंटे 40 मिनट चर्चा हुई जिसमें 117 सदस्यों ने विचार रखे। दोनों चर्चाओं में महिलाओं की भागीदारी अच्छी रही। महिला सदस्यों ने देररात तक बैठकर चर्चाओं में भाग लिया। शून्यकाल में भी उनकी भागीदारी अच्छी रही।

कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने के मद्देनजर सदन के कामकाज के समय में बदलाव की योजना के बारे में एक सवाल के जवाब में बिरला ने कहा कि आठ मार्च को बजट सत्र के दूसरे चरण के शुरू होने के पहले संसद के दोनों सदनों के सचिवालय, संसदीय कार्य मंत्रालय आपस में विचार विमर्श करके फैसला करेंगे।

कोविड का टीका सांसदों, संसद के कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों एवं पत्रकारों को लगाये जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह तय करना सरकार का काम है। सरकार जो भी तय करेगी, वैसा किया जाएगा।

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