मिर्जापुर : पति परदेस में महिलाएं संभाल रहीं खेती, 70 से 80 हजार बचा रहीं प्रतिवर्ष

मिर्जापुर । जिले की दर्जन भर से अधिक महिलाओं की पहचान प्रगतिशील किसान के तौर पर हो रही है। इन महिलाओं के पति परदेस में है और पत्नियां न केवल घर परिवार संभाल रही है बल्कि खेतीबारी भी कर रही है। इनकी सालाना आय भी शहर में छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले व्यवसाइयों से कम नहीं है। किसी का खेत फूल से महक रहा है तो किसी के खेत में मिर्च और मूंगफली लहलहा रही है।

जिले के लालगंज ब्लाक के अमहा गांव निवासिनी संगीता मिश्रा के पति राम आशीष मिश्र मुम्बई में मात्र दस हजार रुपये की नौकरी करते है। संगीता घर पर दो बच्चों के साथ रहती है। संगीता का मायका मध्यप्रदेश में है। पुत्री की मालीहालत देख पिता ने उसके नाम से ससुराल में डेढ़ बीघा भूमि का बैनामा करा दिया। अब संगीता उसी भूमि पर गेहूं, धान और आलू की खेती करती है।

संगीता का कहना है कि पति मात्र पांच हजार रुपये घर पर भेजते थे। इतने पैसे में बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्च नहीं चल पाता था। लिहाजा खेती करना शुरू कर दिया। अब खेती से प्रति वर्ष 70 से 80 हजार रुपये बचा ले रही हूं। इन पैसों से मकान बनवाने के लिए ईंट और अन्य सामान को खरीदकर जुटा रहे हैं। जब बालू और सीमेंट के साथ गार्डर का इंतजाम हो जाएगा। तब मकान बनवा लूंगी। अभी वह दो बच्चों के साथ कच्चे मकान में रहती है। बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दे रही है। बेटी इंटर औरं बेटा शुभम कक्षा 11 का छात्र है।

छानबे ब्लॉक के कुशहा गांव निवासी वेद प्रकाश अहमदाबाद पेपर मिल में नौकरी करते है। घर पर पत्नी मंजू देवी अकेले रहती है। वेद प्रकाश के पास मात्र डेढ़ बीघा खेत है। पति के न रहने पर पत्नी मंजू देवी फूल एवं सब्जी की खेती करती है। मंजू का कहना है कि पति पंद्रह हजार रुपये कमाते हैं। इसमें आधा पैसा वे खुद पर खर्च करते है। घर पर पांच से सात हजार रुपये प्रतिमाह भेजते है। इतने कम पैसे में गृहस्थी चलाना मुश्किल हो रहा था। तब हमने सब्जी और फूलों की खेती करना शुरू कर दिया। अब 50 से 60 हजार रुपये हम खुद कमा कर बचा लेती हूं। अब बेहतर ढंग से गृहस्थी चल रही है।

चिंता देवी मिर्च और सब्जी की खेती में है पारंगत
सीखड़ ब्लाक के भुवालपुर निवासिनी चिंता देवी के पति राज कुमार सऊदी अरब में नौकरी करते है। चिंता देवी घर पर बच्चों के साथ अकेली रहती है। हालांकि उन्हें पैसे की कोई कमी नहीं है पर घर पर मौजूद तीन बीघा खेत काफी दिनों तक बेकार पड़ा रहा। उन्होंने एक दिन मन बनाया कि क्यों न खेती की जाए। उन्होंने गांव के एक व्यक्ति से किराए पर ट्रैक्टर लिया और खेत की जुताई करा दी। इसके बाद उन्होंने मिर्च, टमाटर, मक्का और अन्य सब्जी की खेती शुरू कर दी। बीते पांच वर्ष से वे खेती से प्रति वर्ष तीन से चार लाख रूपये कमा रही है। मिर्च व टमाटर सीखड़ इलाके का मशहूर है। ठण्ड के दिनों में इसकी खपत काफी अधिक होती है। वहीं गर्मी के दिनों में मक्का की खेती काफी लाभदायक साबित हो रही है।

राजगढ़ की अनीता देवी सब्जी उगाने में है माहिर
राजगढ़ की अनीता देवी सब्जी की खेती कर उद्यान विभाग में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रही। जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम की मानें तो अनीता काफी जागरूक किसान है। वह समय से सब्जी की खेती करने के साथ ही शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने में भी पुरूष वर्ग के किसानों से आगे है। बरसात के दिनों में खेतों में मचान बनाकर लौकी व अन्य सब्जी का बेहतर उत्पादन कर रही है।

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