जानिए, किस RAILWAY स्टेशन पर किसानों का कब्जा, पुलिस ने किया बल प्रयोग

 

मुजफ्फरनगर: कृषि कानून को लेकर जहां दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 50 दिन से हरियाणा पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों का आंदोलन चल रहा है. रेलवे स्टेशन (railway station) पर उतरे किसान

  • वहीँ, दूसरी ओर कृषि कानून का विरोध उत्तर प्रदेश के कई जनपदों के साथ-साथ मुजफ्फरनगर में भी कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान संगठनों का विरोध रोजाना।
  • नए-नए आयोजनों में बदलता नजर आ रहा है।
  • मुजफ्फरनगर में भी मंगलवार सुबह भारतीय किसान यूनियन तोमर संगठन के
  • सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कृषि कानून के विरोध में रेलवे स्टेशन पर कब्जा कर जमकर प्रदर्शन किया।

railway स्टेशन पर प्रदर्शन को रोकने के लिए थे व्यापक इंतज़ाम 

  • हालांकि रेलवे स्टेशन पर पहले से प्रस्तावित धरना प्रदर्शन को लेकर जिला प्रशासन ने प्रदर्शन को रोकने के लिए व्यापक प्रदर्शन किए थे.
  • बावजूद इसके भारतीय किसान यूनियन तोमर के सैकड़ों समर्थक ट्रैक्टर ट्रॉली और
  • दर्जनों वाहनों के साथ स्टेशन पर आ धमके ।
  • इस बीच किसानों ने दिल्ली सहारनपुर रेलवे ट्रैक पर बैठकर ट्रक को बाधित करने की कोशिश की.
  • लेकिन पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को रेलवे ट्रेक से हटाया।

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कृषि कानूनों पर रोक

  • आपको बता दें कि Agricultural laws को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी की रिपोर्ट आने
  • और अगले आदेश तक कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।
  • गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसान कानून पर जारी गतिरोध करने के लिए जो कमेटी बनाई गई है.

 

  • समर्थन करने वालों को कमेटी में मिली जगह

  • उनमे उन नामों को तवज्जों दी गई है. जो पहले ही इन तीनों कानूनों का समर्थन कर चुके हैं.
  • न्यायालय ने कहा कि कोई ताकत हमें नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती है|
  • तथा हमें समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है ।
  • उसने किसान संगठनों से कहा, ‘‘ यह राजनीति नहीं है।
  • राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।’’
  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आगे कहा
  • कि किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर
  • ‘‘ जो लोग सही में समाधान चाहते हैं,
  • हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।

 

 

 

 

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