दिवंगत नौसेना प्रमुख एडमिरल की राह देख रहा है ओवी, आज होगा संस्कार !

पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार का 27 नवंबर को निधन हो गया था। 79 वर्षीय कुमार ने लंबी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 1998 से 2000 के बीच भारतीय नौसेना के प्रमुख रहे थे। पूर्व एडमिरल सुशील कुमार ने 1965 व 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध भी लड़ा था। वे गोवा मुक्ति संग्राम में भी शामिल रहे। उनके रणकौशल को देखते हुए उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया था।

शनिवार को दिवंगत सुशिल कुमार का अंतिम संस्कार किया जाएगा। 30 नवंबर को सुबह 10 बजे उनके पार्थिव शरीर को क्राइस्ट चर्च सेक्टर-29 लाया जाएगा। इसके बाद 12 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुशील कुमार के निधन पर बृहस्पतिवार को भी उनके आवास पर शोकाकुल परिवार को सांत्वना देने सेना के अधिकारियों के अलावा उनके जानकार पहुंचे। उनकी बेटी अनीशा भी बृहस्पतिवार को ही यूके से नोएडा पहुंच गईं। उन्होंने बताया कि उनके पिता हमेशा दूसरों का ख्याल रखते थे।

नौसेना का आधुनिकरण सबसे पहले था !

वहीँ पूर्व कैप्टन विकास गुप्ता ने बताया कि सुशील कुमार के निधन से सभी दुखी हैं। उन्होंने बताया कि रूस से पनडुब्बी भारत आई थी, जिसमें कुछ खामियां थीं, उसे उन्होंने छिपाया नहीं बल्कि उजागर कर दुरुस्त कराया। वह हमेशा नेवी के आधुनिकीकरण की सोचते थे। उनके कार्यकाल में नेवी को मजबूती मिली। वह हमेशा तकनीक को महत्व देते थे। कहते थे कि आने वाले समय में समुद्री युद्ध होंगे। ऐसे में भारत का मजबूत होना जरूरी है। भारतीय नौसेना की सुरक्षा को लेकर वह सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने कभी भी नौसेना के आधुनिकीकरण से समझौता नहीं किया।

कोई है जो अभी भी उनकी राह देख रहा है !

उनके पडोसी, सेक्टर-21 निवासी सोमदत्त ने बताया कि सुशील कुमार जो ठान लेते थे, उसे पूरा कर ही दम लेते थे। जब तक सब कुछ ठीक नहीं हो जाता था, वह रुकते नहीं थे। उनके निधन से सिर्फ नेवी ही नहीं थल और वायु सेना के अधिकारियों को भी दुख है। लेकिन इन सबके अलावा जो उनकी मृत्यु से सदमे में है, वो है उनका पालतू कुत्ता ओवी।

कई साल पहले उन्हें तोहफे में मिला ओवी हमेशा उनके साथ रहता था। ऐसे में पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार के निधन के बाद से ओवी भी उदास है। बीते तीन दिनों से ओवी बीमार है। इसके बावजूद जब भी उनके मकान का गेट खुलता है, तब तब ओवी दरवाज़े की तरफ आता है और अपने मालिक को न पाकर दुखी मन से आंखें फेर लेता है। परिवार के सदस्य जैसे ओवी की मासूमियत और उनका दर्द देखकर हर आने जाने वाले की आँखें भर रही हैं।

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