क्या हादसा क्या हकीकत…

– विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत की मौत के बाद डीजीपी उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया था एसआइटी का गठन
– आईजी जोन वाराणसी विजय सिंह मीणा डीआईजी शलभ माथुर और एसपी अशोक कुमार के हाथ में सौपी गई थी जांच की कमान 07 दिनों के अंदर जांच की जानी थी पूरी
– एडीजी प्रयागराज प्रेम प्रकाश ने प्रेस वार्ता के दौरान इन्द्रकांत त्रिपाठी की मौत को बताया आत्महत्या कहा विस्फोटक व्यापारी ने अपनी ही पिस्टल से मारी थी गोली
– विस्फोटक व्यापारी की मौत पर अभी भी उठ रहे हैं सवाल तत्कालीन एसपी पाटीदार को कोरोना संक्रमित बताकर अभी तक नही की गई है पूंछतांछ
– पूर्व विधायक अरिमर्दन सिंह वर्तमान विधायक बीजेपी ब्रजभूषण राजपूत समेत कई लोगों ने तत्कालीन एसपी पाटीदार के खिलाफ दर्ज कराए हैं भृष्टाचार के बयांन

 

महोबा:- उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में इसी महीने की 08 तारीख को इन्द्रकांत त्रिपाठी गोलीकांड को लेकर डीजीपी यूपी द्वारा गठित की गई एसआइटी टीम खुद सवालों के कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही है । जनपद महोबा में लगभग सात दिनों से अधिक समय गुजारने के बाउजूद भी विशेष जांच दल का न तो हत्या आरोपियों से सीधा संवाद हो सका है और न ही किसी प्रकार की कोई धड़ पकड़ अभी तक की गई है । इसी बीच एडीजी प्रयागराज द्वारा पत्रकार वार्ता कर कबरई गोलीकांड पर सीधा बयान जारी किया जा चुका है । जिसमें इन्द्रकांत त्रिपाठी गोलीकांड को शुद्ध रूप से आत्महत्या का अमली जामा पहना दिया गया है । यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ को लिखे शिकायती पत्र से लगाकर अपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज प्रेम प्रकाश द्वारा की गई पत्रकार वार्ता तक बहुत से सवाल उठ खड़े हुए हैं जिनके जवाब आवाम को अभी तक नही मिल सकें हैं । कुल मिलाकर अगर कहें तो हत्या और आत्महत्या के दरमियान फसी विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत त्रिपाठी गोलीकांड की ये गुत्थी दूर-दूर तक जल्द सुलझती हुई नजर नही आ रही है ।

यूपी के सीएम को लिखा था पत्र वायरल किए थे वीडियो

जनपद महोबा के कबरई कस्बा निवासी इन्द्रकांत त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को 05 सितंबर की तारीख में दो पन्नों का एक शिकायती पत्र लिखकर तत्कालीन एसपी मणीलाल पाटीदार पर भृष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उनके तबादले की मांग की थी । आर्थिक शोषण और जबरन उगाही जैसे आरोपो के साथ इस पत्र में मणीलाल पाटीदार से जान माल का नुकसान पहुचाए जाने जैसी आशंका साफ तौर पर व्यक्त की गई थी । इसी के साथ ही कबरई के विस्फोटक व्यापारी द्वारा शोशल मीडिया पर 04 वीडियो और कुछ ऑडियो क्लिप्स वायरल किए गए थे जिसमें तत्कालीन एसपी मणीलाल द्वारा अवैध रूप से रंगदारी वसूल किये जाने के आरोप समेत कस्बा कबरई के अन्य विस्फोटक व्यापारियों से 05 लाख रुपए प्रति महीने की बड़ी धनराशि वसूल किए जाने की बात कही गई थी । वायरल वीडियो में इन्द्रकांत त्रिपाठी ने ये भी खुलासा किया था की इसी वर्ष के जून और जुलाई के महीने में एसपी पाटीदार द्वारा इन्द्रकांत त्रिपाठी से दो किस्तों में जबरन 12 लाख की वसूली की गई थी । जिसके बाद विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत ने एसपी पाटीदार को प्रति महीना 06 लाख की रंगदारी देने से साफ तौर पर मना कर दिया था ।

प्रेस वार्ता के पहले इन्द्रकांत के खिलाफ रची गई थी साजिश

जनपद महोबा के कबरई निवासी इन्द्रकांत ने शोशल मीडिया के जरिये दिनाक 09.09.2020 को अपने क्रशर प्लांट में प्रेस वार्ता बुलाई थी । इसी महीने की 08.09.2020 को फेसबुक प्लेटफार्म पर पोस्ट लिखकर इन्द्रकांत ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक महोबा मणीलाल पाटीदार द्वारा किए जा रहे भृष्टाचार के खिलाफ ठोस सबूत पत्रकार वार्ता के दौरान मीडिया कर्मियों के सामने रखे जाने की बात लिखी थी । सुबह तकरीबन 10 के बाद लिखी गई इस पोस्ट के कुछ घण्टो बाद ही सोची समझी शाजिस के तहत रणनीति बनाकर जनपद महोबा से संचालित अनरजिस्टर्ड लोकल न्यूज पोर्टल पर लगभग 01 वर्ष पुराना इन्द्रकांत का एक वीडियो वायरल करवाया गया था । सूत्रों की अगर मानें तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पाटीदार और उनकी पलटन ने विस्फोटक व्यापारी पर दबाव बनाने की पुरजोर कोशिश की थी लेकिन बात बनी नही । इन्द्रकांत के जुआ खेलते हुए वायरल वीडियो की ये साजिश कहीं न कहीं कई सवालों को जन्म देती हुई नजर आ रही है । सबसे बड़ा सवाल ये है की जुएं से जुड़ा हुआ ये वीडियो अगर लोकल न्यूज चैनल के पास पहले से ही मौजूद था तो इस वीडियो को इन्द्रकांत द्वारा की जाने वाली प्रेस वार्ता के पहले ही क्यो वायरल किया गया । जबकि वीडियो काफी पुराना था तो इसे वायरल भी काफी समय पूर्व ही किया जाना चाहिए था न की 08 सितंबर को । इन्द्रकांत द्वारा वायरल किये गए वीडियो और जुए के वीडियो में विस्फोटक व्यापारी की शारीरिक संरचना में काफी फर्क साफ रूप से नजर आ रहा है फिर कैसे और किसके कहने पर इसे हाल ही का बताकर जनता के सामने परोस दिया गया । खबर को प्रसारित और वायरल करने वाले व्यक्तियों से आज तक एसआइटी का पूंछतांछ न किया जाना क्या पुलिस और एसआइटी की जांच को क्लीन चिट दे पाएगा ।

कहां गई पिस्टल गाड़ी में नही मिले निशान अनसुलझी पहेली बना गोलीकांड ?

फेसबुक पर लिखी गई पोस्ट के बाद इन्द्रकांत के 01 वर्ष पुराने वीडियो के वायरल होने के कुछ घण्टों बाद ही विस्फोटक व्यापारी को कबरई बांदा राजमार्ग में गंभीर रूप से औडी कार में घायल पाया गया था । जिसके तुरन्त बाद घायल विस्फोटक व्यापारी को उपचार के लिए परिजनों और बिजनेस पार्टनरों द्वारा जिला चिकित्सालय महोबा लाया गया था । जहाँ चिकित्सकों ने इन्द्रकांत के गले पर गोली लगने की पुष्टि के साथ ही गंभीर हालत देखते हुए कानपुर रिफर कर दिया था। कानपुर के रीजेंसी अस्पताल के डॉक्टरों ने भी गंभीर रूप से घायल व्यापारी के गले में गोली मारे जाने की पुष्टि की थी । इस बीच संबंधित थानाक्षेत्र की पुलिस द्वारा इन्द्रकांत की कार को अपने कब्जे में ले लिया जाने के साथ ही कई बार तफ्तीश की गई थी । इतना कुछ होने के बाउजूद भी न तो इन्द्रकांत की कार में गोली चलने के कोई निशान मिले थे और न ही कोई असलहा । सवाल साफ है की अगर डॉक्टरों द्वारा अगर गोली से घायल होने की पुष्टि की जा रही तो समस्त फॉरेंसिक रिपोर्ट असलहा से निकलने वाली बुलेट की गवाही सीना ठोककर दे रहीं थी तो असलहा इन्द्रकांत की गाड़ी से गायब कहां हो गया जमीन निगल गई या आसमान खा गया । दूसरा सवाल ये है कि अगर गोली विस्फोटक व्यापारी के गले के आर पार से गुजर गई थी तो इन्द्रकांत की चौपहिया में गोली के निशान या गले के पार गुजरी बुलेट क्यो नही मिली । अभी हाल ही में एडीजी प्रयागराज द्वारा की गई प्रेस वार्ता में गले के सामने से गोली लगने की पुष्टि की गई थी तो वहीं सूत्रों की अगर माने तो कानपुर के रीजेंसी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा गोली पीछे से मारे जाने की बात कही गई थी । डॉक्टरों और एडीजी प्रयागराज द्वारा दिए गए दो अलग अलग बयानों में फर्क साफ तौर पर नजर आ रहा है दोनों बयानों में इतना बड़ा मदभेद हो सकता है तो आख़िर कैसे ?

एसआइटी को सौपनी थी एक सप्ताह में रिपोर्ट

सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक महोबा को निलंबित करने के साथ ही विजलेंस और सम्पत्ति की जांच कराने के निर्देश दिए थे । प्रदेश का अति ज्वलन्त मुद्दा माने जाने वाले कबरई गोलीकांड पर डीजीपी उत्तर प्रदेश द्वारा एसआइटी का गठन कर जांच रिपोर्ट 07 दिनों के भीतर सौपे जाने का भी आदेश 14 सितंबर को दे दिया गया था । 15.09.2020 को जनपद महोबा पहुची एसआइटी टीम में आईजी जोन वाराणसी विजय सिंह मीणा डीआईजी शलभ माथुर और एसपी अशोक कुमार की मुख्य भूमिका सुनिश्चित की गई थी । 15 सितंबर से ही एसआइटी ने अपनी जांच पड़ताल शुरू कर दी थी साथ ही साथ घटना स्थल का मुआयना समेत इन्द्रकांत के परिजनों से बयान लेने का सिलसिला जारी कर दिया गया था । एक तरफ विस्फोटक व्यापारी के परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे थे तो वही हत्या और भृष्टाचार जैसे गंभीर आरोपों से घिरे निलंबित एसपी पाटीदार और अन्य आरोपियों की तलाश करना तक मुनासिब नही समझा गया । कार्यवाही के नाम पर अगर कुछ किया जा रहा था तो वो थी मुख्य आरोपी पाटीदार को ससम्मान नोटिस पहुचा कर बाईज्जत बुलाए जाने की साधारण सी प्रक्रिया ।

13 को हो गई थी मौत पुलिस पर लगे थे जबरन दबाव बनाने के आरोप

इन्द्रकांत की मौत के बाद उनके परिजनों और बिजनेस पार्टनर द्वारा उनका पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए जनपद महोबा लाया गया था । व्यापारी की मौत के चलते स्थानीय लोगों और व्यापारी संगठनों में प्रशासन के खिलाफ खासा आक्रोश था जिसके मद्देनज़र अधिकारियों द्वारा कबरई को छावनी में तब्दील कर दिया गया था । स्थानीय जनता और इन्द्रकांत के परिजनों द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग लगातार की जा रही थी जिसपर सम्पूर्ण प्रशासन मौन धारण किए हुए था । जैसे तैसे मृतक विस्फोटक व्यापारी का अंतिम संस्कार किया गया और इसी के साथ हुई पुलिस और स्थानीय आवाम के बीच खींचा तानी सुरूआत । एएसपी महोबा वीरेंद्र कुमार ने दलबल के साथ पहुचकर मृतक इन्द्रकांत के बिज़नेस पार्टनर बाल किशोर दुवेदी और पुरषोत्तम सोनी को जबरन अपनी हिरासत में लेने की पुरजोर कोशिश की जिसका स्थानीय जनता ने जमकर विरोध किया । खाकी का रौब भी चरम सीमा में दिखाया गया लेकिन हजारों की तादात में उपस्थित हुजूम के सामने एक न चली । पुलिस बाल किशोर और पुरषोत्तम को जबरन अपने कब्जे में लेकर उनसे बयान लेना चाह रही थी जबकि मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों द्वारा हत्या आरोपियों को गिरफ्तार करने की लगातार मांग की जा रही थी । इस पूरे प्रकरण के दौरान एक बात साफ तौर पर नजर आ रही थी वो था मुख्य आरोपियों को बचाने की कोशिश गिरफ्तार या पूंछतांछ के लिए उन्हें नही उठाया जा रहा था जिनपर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज था बल्कि दबाव उनपर बनाया जा रहा था जो इन्द्रकांत को इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे । इस घटनाक्रम के बाद दिनाक 17.09.2020 को स्वर्गीय इन्द्रकांत त्रिपाठी के भाई रविकांत द्वारा मुख्यमंत्री योगी को संबोधित एक शिकायती पत्र लिखा गया जिसमें 15 सितंबर की रात लगभग 12 बजे स्थानीय पुलिस द्वारा बिज़नेस पार्टनर पुरषोत्तम सोनी के निवास पर जबरन तोड़फोड़ करके दबाव बनाने की शिकायत सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से लिखित रूप से की गई थी । इसी के साथ ही दिनांक 20.09.2020 को पुनः एक शिकायती पत्र भेजकर स्वर्गीय इन्द्रकांत के भाई ने यह भी आरोप लगाया था की वर्तमान एएसपी महोबा वीरेंद्र कुमार द्वारा निलंबित आईपीएस मणीलाल पाटीदार को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है साथ ही साथ एडिशनल एसपी वीरेन्द्र कुमार के तबादले की मांग की गई थी । अब सवाल यह उठता है लगातार आरोप लगाए जाने के बाद भी एएसपी वीरेंद्र कुमार का स्थानांतरण करने में प्रदेश सरकार ने रुचि क्यो नही दिखाई जबकि इन्द्रकांत गोलीकांड का मुद्दा सम्पूर्ण भारत में चर्चा बटोर रहा था ।

एसआइटी की जांच से संतुष्ट नही थे परिजन गृह मंत्रालय को लिखा था शिकायती पत्र

एसआइटी जांच दल के महोबा पहुचने के साथ ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था । इन्द्रकांत केस को लेकर गली कूंचों में होने वाली चर्चाओं में निलंबित आईपीएस मणीलाल पाटीदार सहित एसआइटी के दो सदस्यों के राजिस्थान कनेक्शन की बात जोर शोर के साथ की जा रही थी । भृष्टाचार और हत्या के आरोपों से घिरे निलंबित पुलिस अधीक्षक पाटीदार भी राजिस्थान के हैं और एसआइटी के दो मुख्य सदस्य भी । ऐसे में निष्पक्ष जांच को लेकर सवाल उठने लाजिमी भी माने जा रहे थे । विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत के परिजन भी इस बात को लेकर कतई आश्वस्त नही थे जिसके चलते मृतक इन्द्रकांत के भाई ने ग्रह मंत्रालय को पत्र लिखकर जांच में हिला हवेली की शंका जाहिर करने के साथ ही असंतोष भी व्यक्त किया था । परिजनों का मानना था कि पाटीदार भी राजिस्थान से ताल्लुक रखते है और एसआइटी के दो अधिकारी ऐसे में क्या गारंटी है की जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और ईमानदारी के साथ ही की जाएगी ।

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