महिलाओं और बच्चों के साथ बढ़ रहे यौन उत्पीड़न के मामले, 31 राज्यों में होंगी फास्ट ट्रैक कोर्ट

नई दिल्ली. देश की राजधानीदिल्ली (Delhi) में 9 साल की बच्ची से दरिंदगी और हत्या के मामले की घटना के बाद से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं. दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा और फांसी जल्द से जल्द देने की मांग भी जोर शोर से की जा रही है.

इस बीच केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से एक बड़ा कदम भी उठाते हुए देश में स्थापित सभी स्पेशल पोक्सो कोर्ट (Special POCSO Court) और फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (Fast Track Special Court) को 31 मार्च, 2023 तक जारी रखने का मंत्रीमंडलीय फैसला भी किया गया है.

देश में बढ़ते यौन उत्पीड़न और यौन अपराध के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए इस तरह की कोर्ट्स का आगे भी जारी रखना बेहद जरूरी माना जा रहा है. इन कोर्ट्स के लिए केंद्र सरकार (Central Government) ने 1572.86 करोड़ रुपए की धनराशि भी मंजूर की है जोकि निर्भया फंडके जरिए जारी की जाएगी.

देश के 31 राज्यों में योजना का विस्तार करने की तैयारी
इस बीच देखा जाए तो मौजूदा समय में विशेष पोक्सो कोर्ट और फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट 28 राज्यों में स्थापित की हुई हैं. वहीं अब केंद्र सरकार सभी 31 राज्यों में इस तरह की कोर्ट स्थापित करने के लिए योजना तैयार कर चुकी है. देश के 31 राज्यों में इस तरह की कोर्ट स्थापित की जा सकेंगी. यह सभी राज्य केंद्र की इस योजना में शामिल होने के पात्र हैं. सरकार आने वाले समय में जल्दी 31 राज्यों में इस योजना का विस्तार करेगी.

यह देश के दूरदराज क्षेत्रों सहित पूरे देश में यौन अपराधों की असहाय पीड़ितों को समयबद्ध न्याय प्रदान करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर रहा है. योजना के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:-

महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता. दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के लंबित मामलों की संख्या कम करना. यौन अपराधों के पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करना और यौन अपराधियों के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करना. इन मामलों की तेज अदालती प्रक्रिया, न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों के बोझ को कम करेगी.

31 मार्च, 2023 तक जारी रहेंगी स्पेशल पोक्सो व फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 389 विशेष पोक्सो कोर्ट्स सहित 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स को केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है. और इसके लिए कुल 1572.86 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्से के रूप में 971.70 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 601.16 करोड़ रुपये) की धनराशि निर्धारित की गयी है. केंद्रीय हिस्से की धनराशि निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) से उपलब्ध करायी जाएगी. यह योजना 02 अक्टूबर, 2019 को शुरू की गई थी.

केंद्र का मानना है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को हमेशा सर्वाधिक महत्व दिया गया है. बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार ने पहले ही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. 12 वर्ष से कम उम्र की नाबालिग लड़कियों और 16 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था.इस तरह की घटनाओं और लंबे समय तक चलने वाली अदालती प्रक्रिया को देखते हुए दोषियों के परीक्षण के लिए एक समर्पित न्यायालय तंत्र बनाने की आवश्यकता थी, जो मुकद्दमे में तेजी ला सके और यौन अपराधों के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान कर सके.

आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 लागू करने से फास्ट ट्रैक की स्थापना
ऐसे मामलों में अधिक कड़े प्रावधान, त्वरित सुनवाई और मामलों के निपटान के लिए, केंद्र सरकार (Central Government) ने “आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018” लागू किया और दुष्कर्म के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया. इससे फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (एफटीएससी) की स्थापना हुई.

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट समर्पित अदालतें हैं, जिनमें अदालती प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाती है. इन न्यायालयों की अंतिम फैसले देने की दर नियमित अदालतों की तुलना में बेहतर है और ये न्यायालय अदालती प्रक्रिया तेज गति से पूरा करते हैं. असहाय पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अलावा, यह व्यवस्था यौन अपराधियों के खिलाफ निवारक ढांचे को मजबूत करती है.

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