मुख्यमंत्री धामी के इस क़दम के लिए नेत्री दीप्ति रावत ने क्यूँ किया धन्यवाद? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत दी है.

देहरादून। भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ती रावत भारद्वाज ने कहा कि, पहाड़ की महिलाओं का हर आंदोलन में हर जगह महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पहाड़ की महिला हर क्षेत्र में हमेशा एक सक्रिय भूमिका निभाती आयी है, चाहे वो सामाजिक क्षेत्र हो या पारिवारिक जीवन हो। लेकिन जब महिलाएँ अपने करियर या रोज़गार के बारे में सोचती हैं तो उनके सामने काफी सारी रुकावटें और दिक्कतें आती हैं। महिलाओं की समस्याओं और कठिन जीवन को देखते हुए प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री जी ने जो महिलाओं के पक्ष को बहुत मज़बूती से शीर्ष अदालत के सामने रखा और अदालत ने राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड की मूल निवासी महिलाओं को 30% आरक्षण दिये जाने को उचित ठहराया, उसके लिए उन्होंने राज्य सरकार के इस सराहनिए कदम के लिये उत्तराखण्ड की समस्त महिलाओं एवं बेटियों की तरफ से मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी का हार्दिक आभार और धन्यवाद करते है।

दरअसल, शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण देने पर रोक लगाई गई थी. इस मामले को लेकर उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया है. इस तरह सरकारी नौकरी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सकेगी.

राज्य सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के लिए पूरी तरह से इच्छुक थी. यही वजह थी कि अक्टूबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने महिला आरक्षण के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया था. उत्तराखंड सरकार के मंत्रिमंडल ने सीएम धामी को सरकारी नौकरियों में राज्य की महिलाओं को आरक्षण देने के संबंध में अध्यादेश लाने के लिए अधिकृत किया था. हाईकोर्ट द्वारा राज्य की मूल निवासी महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के एक आदेश पर रोक लगाने के बाद अध्यादेश लाया जा रहा था.

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