एक दिवसीय धरने पर बैठे हरीश रावत

अन्य राजनीतिक दलों को भी इस 1 दिवसीय धरना प्रदर्शन में शामिल होने की अपील भी की गई थी हालांकि अन्य दलों की मौजूदगी प्रदर्शन में नहीं देखने को मिली है।

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत अपने कार्यों और बयानों के लिए हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। इसके लिए वह कोई न कोई बहाना ढूंढ लेते हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक दिवसीय धरने की जानकारी दी थी और इसमें अन्य दलों से भी शामिल होने का आग्रह किया था।
यह बात अलग है कि और दल के नेता तो नहीं आए लेकिन हरीश रावत ने सोमवार को अपने तमाम समर्थकों के साथ राजधानी देहरादून के गांधी पार्क गेट पर एक दिवसीय धरना प्रारंभ कर दिया है। 2 दिन पहले सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर इसकी जानकारी साझा की थी, जिसमें उन्होंने धरने की जानकारी दी थी। इसी पोस्ट के माध्यम से अन्य राजनीतिक दलों को भी इस 1 दिवसीय धरना प्रदर्शन में शामिल होने की अपील भी की गई थी हालांकि अन्य दलों की मौजूदगी प्रदर्शन में नहीं देखने को मिली है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा है कि महिला सुरक्षा में प्रदेश पूरी तरह से संतुलन खो चुका है इतना ही नहीं राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए हरदा ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में साक्ष्यों को छुपाने की भी कोशिश की गई है जो जगजाहिर है जिसके विरुद्ध में यह धरना प्रारंभ कर रहा हूं। इस अवसर पर उनके साथ कांग्रेस के कई नेता उपस्थित थे। सीबीआई जांच कराओ, भाजपा सरकार होश में आओ जैसे नारे के साथ इस धरने में वामपंथी संगठनों से जुड़े एक-दो नेता तथा हरीश रावत के समर्थक शामिल हुए।
इस धरने पर इन्होंने एक बैनर लगा रखा था जिसमें अंकिता भंडारी के फोटों के साथ यह लिखा था कि हे ईश्वर, हे केदार बाबा, हे बद्रीविशाल, अंकिता भंडारी की आत्मा को न्याय दो, यह सरकार हमारी बेटी की आत्मा को न्याय दिलाने का विकल्प बनाएं, बेटियां मांगे न्याय जैसे स्लोगन लिखे हुए थे। इनमें मोहम्मद यामिन अंसारी, हीरा सिंह बिष्ट, मंत्री प्रसाद नैथानी, गरिमा दसौनी, आशा मनोरमा डोबरियाल, मनीष नागपाल समेत तमाम नेता उपस्थित थे।

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