गहलोत सरकार ने रिटायर्ड IAS जीएस संधू को भी बनाया UDH का सलाहकार

जयपुर. राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों (Political appointments) पर गरमायी राजनीति के बीच गहलोत सरकार ने एक और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट जीएस संधू (Retired Bureocrat GS Sandhu) को निुयक्ति दे दी है. सेवानिवृत आईएएस जीएस संधू को स्वायत्त शासन,नगरीय विकास विभाग और आवासन मंडल का सलाहकार नियुक्त (Advisor Appointed) किया गया है. यह नियुक्ति ऐसे समय में की गई है जब राजस्थान की राजनिति में राजनीतिक और अन्य नियुक्तियों समेत मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर घमासान मचा हुआ है.

राज्य सरकार ने इसके आदेश जारी कर दिये हैं. इससे प्रदेश में निुयक्तियों का विवाद और गहराने के आसार हैं. संधू की नियुक्ति के आदेशों में लिखा गया है कि वे पगार के नाम पर राज्य सरकार से मात्र एक रुपया लेंगे, लेकिन उन्हें अन्य सभी सुविधायें मुख्य सचिव स्तर की मिलेगी.

स्वायत्त शासन मंत्री को करें रिपोर्ट

संधू को मौजूदा नगरीय विकास और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल का सबसे विश्वस्त अफसर माना जाता है. संधू सीधे नगरीय विकास और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को रिपोर्ट करेंगे. संधू की सरकार की सरकार से नजदीकी का अंदाता इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कांग्रेस सरकार के पिछले कार्यकाल में भी सरकार ने संधू की सेवायें जेडीए और यूडीएच में ली थी. वही मौजूदा कार्यकाल के दौरान सरकार ने उनको सवाई मानसिंह स्टेडियम के कार्य और आरसीए के लिए भी पहले से सलाहकार बनाया हुआ है.
मुख्य सचिव स्तर की मिलेंगी सुविधायें

संधू भले ही एक रुपये महीने की पगार लेकर सरकार को अपनी सेवाएं देंगे, लेकिन उन्हें राज्य के मुख्य सचिव स्तर की सभी सुविधाओं का लाभ दिया जायेगा. इनमें हवाई यात्रा, दफ्तर, स्टॉफ आदि सुविधाएं शामिल हैं. वहीं यूडीएच-स्वायत्त शासन और आवासन मंडल जैसे अहम महकमे की हर फाइल अब संधू से होकर ही सरकार तक जाएगी.

जेल भी जा चुके है संधू

यूडीएच और स्वायत्त शासन विभाग में सरकार की ओर से नियुक्त किए गए सलाहकार जीएस संधू पिछली कांग्रेस सरकार में एकल पट्टा प्रकरण मामले में जेल भी जा चुके हैं. उनके साथ कई अफसरों पर एकल पट्टा मामले पर शिकंजा कसा गया था. वहीं फिर से उन्हें इसी विभाग में सलाहकार के तौर पर लगाया गया है.

नियुक्तियों को लेकर यह है विवाद

उल्लेखनीय है कि गहलोत का विरोधी पायलट गुट इस बात की कई बार शिकायत कर चुका है कि सरकार राजनीतिक नियुक्तियां नहीं कर रहा है और ब्यूरोक्रेट्स को लगातार अहम पदों पर बिठाता जा रहा है. पायलट गुट की शिकायत है कि सरकार पार्टी को सत्ता में लाने वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर रही है. जब राजनीतिक नियुक्तियां नहीं की जा रही तो ब्यूरोक्रेट्स को नियुक्तियां क्यों दी जा रही है?

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