ब्रजेश पाठक के डिप्टी सीएम बनने पर सभी लोग है बेहद खुश, सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे तस्वीर

नेता वही जो हो सबका ख़ास, जैसे ब्रजेश पाठक

लखनऊ: ब्रजेश पाठक के डिप्टी सीएम बनने पर हर कोई ख़ुश हो रहा है. ब्रजेश पाठक के साथ अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया में साझा कर रहा है. उनके घर पर बधाई देने वालों की भीड़ लगी है और वह हर किसी से प्यार और अपनेपन से मिल रहे हैं, लोगों का मुंह मीठा कर रहे हैं. भीड़ का हर शख्स एक अलग किंस्म के आत्मविश्वास में है, हर कोई कह रहा है कि प्रदेश के डिप्टी सीएम उनके ख़ास है. किसी भी धर्म-जाति, विचारधारा या किसी भी पार्टी से जुड़े हजारों लोग ब्रजेश पाठक को अपना ख़ास, दोस्त या क़रीबी मानते हैं.

ये सच है कि नवोदित उपमुख्यमंत्री हर किसी से मिलते हैं,प्यार से बात करते हैं, फोन उठाते हैं, जनता के सुख-दुख पर काम आते हैं. जो बुलाता है टाइम निकाल कर जाना जरुरी समझते हैं. हर किसी का हर किस्म का काम कर पाना किसी भी नेता के लिए असंभव है, लेकिन हर संभव जायज़ मदद के लिए मंत्री होने कि ताकत वह जरुर इस्तेमाल करते हैं. मसलन किसी का कोई गंभीर रूप से बीमार है और अस्पताल में सहयोग, बैड, एडमीशन या इलाज नहीं मिल रहा हो तो मदद के लिए ब्रजेश पाठक मंत्री की ताकत के साथ भगवान बन कर अस्पताल में प्रकट हो सकते हैं. वह अस्पताल पहुंच नहीं पाते तो फोन कर ही देते हैं.

कानून मंत्री की तीखी चिट्ठी ने बढ़ा दिया कदम

कोविड काल में आम जनता की मदद के लिए उनकी सेवाएं सर्वविदित है. कोविड काल की परेशानियां कम करने व सिस्टम के सुधार के लिए अपनी ही सरकार के अफसरों और सिस्टम पर सवाल उठाना वाले तत्कालीन कानून मंत्री की तीखी चिट्ठी ने उनका ने कद और भी बढ़ा दिया था. इन ख़ूबियों से ही वह बड़े जनाधार वाले लोकप्रिय और हर दिल अज़ीज़ नेता साबित हो गए हैं. यही वजह रहे होंगे कि भाजपा के तमाम पुराने दिग्गजों से बेहतर रिपोर्ट कार्ड ने उन्हें बीजेपी में दाखिल होने की अल्प आयु में इतने बड़े सूबे का डिप्टी सीएम बना दिया.

हर दौर और पार्टी में इस तरह के मिलनसार नेताओं का भविष्य उज्जवल रहा है. एक जमाने में चंद्रशेखर, मुलायम सिंह यादव और बेनी प्रसाद वर्मा के शुरूआती दौर में ऐसी मिलनसार और ज़मीनी नेता के रूप में पहचान थी, जो उन्हें फर्श से अर्श तक ले गई थी. यूपी में ही रीता बहुगुणा जोशी व  प्रमोद तिवारी जैसी कई राजनीतिक हस्तियों ने भी अपने कुशल व्यवहार से अपना जनाधार इतना मजबूत कर लिया कि वह किसी पार्टी के मोहताज नहीं रहे.

पार्टी कमजोर होने के बाद बना रहा जनाधार

ब्रजेश पाठक की पार्टी कमजोर भी हो जाए तो भी उनका खुद का जनाधार बना रहा. जैसे कि प्रमोद तिवारी की कांग्रेस पार्टी का यूपी में भले ही सफाया हो गया,लेकिन उनकी खुद की ताकत उन्हें जिताती रही. यूपी में कांग्रेस का हर किला ढह गया, यहां तक कि अमेठी व रायबरेली की विधानसभा सीटें कांग्रेस हारने लगी, लेकिन कांग्रेस के प्रमोद तिवारी के विधानसभा क्षेत्र पर अब उनकी पुत्री आराधना मिश्रा जीतती रही हैं. गौरतलब है कि यूपी में कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी. कांग्रेस की आराधना मिश्रा ‘मोना’ प्रतापगढ़ जिले की अपनी परंपरागत सीट रामपुर खास जीतने में कामयाब हुईं. साल 2014 में उप चुनाव के बाद आराधना लगातार इस सीट पर जीत हासिल करती रही हैं.

ये सीट आराधना के पिता व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की रही है. वह इस सीट से 9 बार चुनाव जीत कर रिकार्ड कायम कर चुके हैं. राज्यसभा जाने के बाद प्रमोद तिवारी के इस विधानसभा क्षेत्र से उनकी पुत्री आराधना मिश्रा कांग्रेस की कंगाली में भी इस सीट पर विजय होती हैं. अस्ल में असली नेता तो इन शख्सियतों को ही कहते हैं, जो हर दौर हर ज़माने या किसी भी पार्टी में जाएं पर जनता के दिलों पर राज करें.

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