प्रचार से दूर पूर्व सांसद डिंपल यादव ने लखनऊ एक्सप्रेस वे पर अपनी बेटी संग मजदूरों को बांटा खाना

विदेश से प्लेन में बैठ कर आए कोरोना वायरस ने जहां देश की आर्थिक स्थिति को तोड़ कर रख दिया है वही दूसरी ओर इस वायरस ने कई संस्थानों पर ताला लगवा दिया है। देश के मजबूर मजदूरों को मई की तपती गर्मी में नंगे पांव भूखे प्यासे  सड़को पर लाकर खड़ा कर दिया है। कभी देश की सियासत मजदूरों के रेलवे टिकट पर गर्म हो जाती है तो कभी …मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने वाली बसों को लेकर राजनीति शुरु हो जाती हैं । कही मजदूरों की रोजी रोटी को लेकर सियासत जारी है तो कही प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर सियासतदानों की बयानबाज़ी अपने चरम पर हैं।

ऐसे में अब चाहे सियासत हो या कुछ भी लेकिन लखनऊ एक्सप्रेस वे से लाखों मजदूर पैदल ही अपने प्रदेश उत्तर प्रदेश में वापसी कर रहे  हैं। ऐसे में जहां सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी कोरोनाकाल में लोगो की मदद के लिए आगे आ रही हैं और हर स्तर से लॉकडाउन में फंसे गरीब मजदूरों की मदद के लिए आगे आ रहे है ठीक उसी तरह से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का परिवार भी मीडिया और कैमरे की रोशनी से दूर लोगो की मदद के लिए सड़को पर उतर आया हैं। जी हां हम बात कर रहे है कि अखिलेश यादव की धर्मपत्नी डिंपल यादव और उनकी बिटियां की जो लखनऊ एक्सप्रेस वे पर सुबह सबह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंची और लखनऊ एक्सप्रेस वे से सफर कर अपने घर वापस जा रहे मजदूरों  की मदद के लिए आगे आए और अपने हाथों से गरीब मजदूरों को खाना बांटा जो मजदूर मीलो रातभर पैदल चल कर थक गए थे उनकी निगाहे आस पास किसी मददगार को तलाश रही थी उसी दौरान अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नोज की पूर्व सांसद डिंपल यादव उन गरीब मजदूरों के सामने प्रकट हुई और अपने हाथों से गरीब मजूदरों को खाने का सामान बांटा। साथ ही उनकी अखिलेश और डिंपल यादव की बिटिया ने उन मजूदूरों के पैरों के लिए चप्पले बांटी जिनके पैर छालों से भर गए थे।

मई की तपती धूम में जब घर की छत पर नंगे पांव एक कदम रखना मुश्किल होता है। वही ये मजदूर अपने परिवार के साथ मई की तपती दोपहरी में तपते लखनऊ एक्सप्रेस वे पर नंगे पांव सफर कर रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव की पत्नी और बिटियां ने ऐसे मजबूर मजदूरों को ना सिर्फ चप्पले बांटी बल्कि तपती दोपहरी गला तर करने के लिए कई पानी बोतले भी गरीब मजदूरों को उपलब्ध करवाई। साथ ही जो मजदूर कुछ जुगाड़ करके अपनी जमा पुंजी इक्ट्ठा करके लीगल तरीके से ट्रकों में या दूसरे वाहनों में सफर करके अपने घर पहुंच रहे हैं। उनके लिए अखिलेश यादव परिवार रोटी पानी की व्यवस्था करता हुआ नज़र आया।

साथ ही मजदूरों को खाना बांटते हुए डिंपल यादव की अगर आप इन तस्वीरों पर गौर करे तो आपको मीडिया के कैमरे की परछाई तक नज़र नही आएंगी। यानी कि इससे साफ होता है कि डिंपल यादव बिना किसी सियासत के बिना किसी सियासी फायदे के सिर्फ भल मनसाई के चलते गरीबों के दुखों को कम करने की अपनी तरफ से एक मुमकिन कोशिश कर रही थी। लेकिन चूकि डिंपल यादव चेहरा ना सिर्फ कन्नौज की सांसद है। बल्कि सूबे के एक बड़ी और पूरानी पार्टी से जुड़ा हुआ चेहरा है और सबसे बड़ी बात की सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की पत्नी है तो आखिरकार उनकी ये नेकनियत छुप नही पाई और सोशल मीडिया पर डिंपल यादव की गरीबों की मदद करती ये तस्वीरे छा गई ।

फिलहाल सूबे में सरकार किसी की भी हो लेकिन लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों का दुख और तकलीफ देखकर सियासत की भी आंखे नम हो गई हैं और यही कारण है कि जहां एक तरफ कुछ सियासी चेहरे प्रवासी मजदूरों पर सियासत कर रहे है तो वही पर कुछ सियासत में कुछ ऐसे भी चेहरे है। जो मजदूरों के दुख में शामिल भी हो रहे हैं।

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