वाकई अद्भुत है ट्रेकिंग के क्षेत्र में झंडे गाड़ चुकी उत्तराखंड की देवेश्वरी की कहानी

उत्तराखंड के चमोली जिले की देवेश्वरी नवरात्र के पावन सप्ताह में त्रिशूल चोटी के आरोहण पर निकल रही हैं। इस दौरान उनकी पूरी कोशिश पहाड़ में स्वरोजगार के लिए हिमालय ट्रैकिंग व हेरिटेज ट्रैकिंग को बढ़ावा देना है। साथ ही वे भारत की प्राचीन संस्कृति को जीवित रखने के लिए पहाड़ के कौथिग, मेलों और पौराणिक जगहों के बारे में लोगों को बताती हैं।

27-वर्षीय देवेश्वरी बिष्ट उत्तराखंड के चमोली जिले की रहने वाली हैं। देवेश्वरी अपने परिवार में सबसे छोटी हैं। गोपेश्वर में 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। साल 2009 में उन्होंने जल संस्थान गोपेश्वर में बतौर इंजीनियर काम करना शुरू कर दिया। इसके 3 साल बाद उन्हें उरेडा में भेज दिया गया। हालाँकि उनका वहां बिलकुल मन नहीं लगा, इसलिए 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। ट्रैकिंग के ज़रिए स्वरोजगार की अलख जगानी शुरू की। बीते साढ़े चार सालों से वह पहाड़ में स्वरोजगार के लिए हिमालय ट्रैकिंग व हेरिटेज ट्रैकिंग को प्रमोट कर रही हैं। साथ ही पहाड़ी संस्कृति को संजोने में भी जुटी हैं।

कर चुकी हैं कई पर्वतों को पार

देवेश्वरी के शौक को अपने जूनून से एक नई राह दी। वर्त्तन में देवेश्वरी ने करीब 15 युवाओं को अपने साथ जोड़ लिया है। बीते सालों में वे उत्तरकाशी से लेकर पिथौरागढ़ तक उच्च हिमालय में ट्रैकिंग कर चुकी हैं और कई दलों को भी ट्रैकिंग करा चुकी हैं। उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में देवेश्वरी ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के साथ मिलकर बीती जुलाई में माउंट मुम्बा का सफल आरोहण किया। इससे पहले वह द्रोपदी का डांडा सहित कई अन्य चोटियों का भी आरोहण कर चुकी हैं। अब इसी सप्ताह वह त्रिशूल चोटी के आरोहण पर निकल रही हैं।

फोटोग्राफी से लोगों को दिखाती है पहाड़ों की सुंदरता

बता दें कि बीते कई सालों से उत्तराखंड में कोई ऐसी महिला ट्रैकर और फोटोग्राफर नहीं हैं, जिन्होंने ट्रैकिंग को रोजगार का जरिया बनाया हो। इस वजह से देवेश्वरी बिष्ट का काम सबसे अलग कहा जा सकता है। देवेश्वरी अपनी फोटोग्राफी से लोगों को पहाड़ों की उन ऊंचाइयों तक लेकर जाती हैं, जहाँ हर कोई नहीं जा सकता। खास बात ये है कि देवेश्वरी ने पहाड़ के कौथिग, मेलों और पौराणिक जगहों को अपने ट्रैकिंग चार्ट में शामिल किया है। इससे वे पहाड़ी संस्कृति को संजोने और उसे बढ़ावा देने की कोशिश करती हैं।

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