दिल्ली हिंसाः जेल में बंद खालिद सैफी को एक मामले में मिली जमानत

नई दिल्ली। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद कार्यकर्ता खालिद सैफी को एक मामले में जमानत दे दी है। एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपित के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि वह घटनास्थल पर मौजूद था। न ही वह किसी सीसीटीवी या वायरल वीडियो फुटेज में कहीं देखा गया है।

कोर्ट ने खालिद सैफी को 20 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ऐसे में आरोपित को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने खालिद सैफी को गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश दिया। कोर्ट ने खालिद सैफी को इलाके में शांति और सौहार्द्र के साथ रहने का आदेश दिया। कोर्ट ने आरोपित को सुनवाई की हर तिथि पर कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले के गवाह राहुल कसाना की गवाही 27 सितम्बर को हुई है, जो अपने आप में उसे अविश्वसनीय बनाने के लिए काफी है। राहुल कसाना ने अपने बयान में कहा कि वह शाहीन बाग के एक बिल्डिंग के बाहर खड़ा था जहां उसने मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन को ड्राप किया था। कसाना ने उसी बिल्डिंग में उमर खालिद को जाते हुए देखा। ऐसे सबूतों के आधार पर चार्जशीट दाखिल करना दिल्ली पुलिस की प्रतिशोधी कार्रवाई को प्रदर्शित करता है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की दलील सही नहीं है कि आरोपित दूसरे सह-आरोपितों के साथ साजिश में शामिल था। कोर्ट ने कहा कि महज 8 जनवरी को एक बैठक में शामिल होने भर से साजिश का पता नहीं चलता है।

सुनवाई के दौरान खालिद सैफी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपित एक प्रतिष्ठित परिवार से आता है और वह एक बिजनेसमैन है और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है। उन्होंने कहा कि खालिद सैफी को झूठे तरीके से फंसाया गया है। उसे सबसे पहले 26 फरवरी को जगतपुरी थाने में दर्ज एक एफआईआर के सिलसिले में गिऱफ्तार किया गया था। उसके बाद उसे 21 मार्च को स्पेशल सेल की ओर से दर्ज एफआईआर नंबर 59 के तहत औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया था। रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपित घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। उसे ताहिर हुसैन के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। खालिद सैफी के पास से कुछ भी बरामद नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि खालिद सैफी के खिलाफ केवल एक आरोप था कि वह सह-आरोपितों ताहिर हुसैन, उमर खालिद, मीरान हैदर, आसिफ तान्हा, दानिश, इशरत जहां के संपर्क में था। अगर खालिद सैफी का कॉल डिटेल रिकॉर्ड ये बताता है कि 8 जनवरी को ताहिर हुसैन और उमर खालिद के साथ संपर्क में था तो भी ये साबित नहीं होता कि उनके बीच कोई बैठक हुई थी। इसका केवल यही मतलब है कि ये लोग शाहीन बाग इलाके में थे।

दिल्ली पुलिस की ओर से खालिद सैफी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए वकील मनोज चौधरी ने कहा कि ये मामला काफी संवेदनशील है जिसमें ताहिर हुसैन के घर के आसपास दंगे हुए थे। इसकी जांच में ये पता चला कि दिल्ली के दंगों के पीछे गहरी साजिश रची गई थी। इसके कई साजिशकर्ताओं की पहचान कर उन्हें गिऱफ्तार किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध के नाम पर सांप्रदायिक दंगे की साजिश रची गई। इस मामले में आरोपित को स्वतंत्र गवाह राहुल कसाना के बयान के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने 27 सितम्बर के राहुल कसाना के बयान का जिक्र किया, जो उसने पुलिस के समक्ष दिया था। राहुल कसाना ने बताया था कि उसने 8 जनवरी को खालिद सैफी को ताहिर हुसैन और उमर खालिद से मिलते हुए शाहीन बाग में देखा था। आरोपित का कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी बताता है कि वह ताहिर हुसैन और उमर खालिद के लगातार संपर्क में था। उन्होंने कहा कि इस मामले में चार्जशीट भले ही दाखिल कर दी गई है लेकिन अभी जांच जारी है।

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