दिल्ली हिंसाः जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ की जमानत याचिका खारिज

नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ इकबाल तान्हा की जमानत याचिका खारिज कर दी है। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि आरोपित के खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं। कोर्ट ने कहा कि तान्हा की दूसरे आरोपितों शरजील इमाम, सफूरा जरगर आदि से काफी निकटता थी।

कोर्ट ने कहा कि आरोपित ने विरोध प्रदर्शनों को आयोजित करने के लिए काफी सक्रिय रुप से साजिश को अंजाम दिया। इन प्रदर्शनों के बाद दंगे हुए, जिसकी वजह से कई लोगों की जान गई और काफी संपत्तियों को नुकसान हुआ। आरोपित की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि गवाहों के बयान झूठे और भ्रामक हैं। गवाहों के बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आरोपित के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप नहीं बनता है, क्योंकि वो किसी भी आतंकी संगठन का सदस्य नहीं है। उन्होंने कहा कि स्टूडेंड इस्लामिक आर्गनाइजेशन और जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी पर कभी बैन नहीं लगा है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ किसी तरह का विरोध करना कानूनन सही है।

अग्रवाल ने कहा कि तान्हा को 19 मई को गिरफ्तार किया गया था। वो 26 मई से न्यायिक हिरासत में है। वह 24 फरवरी तक जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य नहीं था। इसलिए 23 फरवरी के मैसेज की बात बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि तान्हा ने सफूरा जरगर को कोई सिम कार्ड उपलब्ध नहीं कराया था और न ही किसी साजिश का हिस्सा रहा। उसका भीम आर्मी से भी कोई संबंध नहीं था। उसके परिसर की कभी तलाशी नहीं ली गई थी। अग्रवाल ने कहा कि तान्हा के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं और न ही कोई हथियार बरामद हुए हैं।

तान्हा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने कहा कि वर्तमान एफआईआर क्राइम ब्रांच को मिली सूचना के आधार पर दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने 23 से 25 फरवरी के बीच हुए दंगों की साजिश रची। इसमें अलग-अलग समूहों के लोग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उमर खालिद ने कई स्थानों पर अल्पसंख्यकों के बीच भड़काने वाला भाषण दिया था और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन के समय रोड जाम करने औऱ विरोध प्रदर्शन करने के लिए उकसाया था। ये अंतरराष्ट्रीय पटल पर ये बताने के लिए किया गया था कि अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इसमें बच्चों और महिलाओं को ढाल के रुप में आगे किया गया।

अमित प्रसाद ने कहा कि तान्हा के खिलाफ यूएपीए लगाकर सही किया गया है। कोर्ट ने भी पिछले 4 जून को कहा था कि आरोपित के खिलाफ यूएपीए लगाकर सही किया गया। कोर्ट ने जांच के लिए समय बढ़ाने की दो बार अनुमति दी है। इसे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में तान्हा एक प्रमुख साजिशकर्ता है।

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