निकाय चुनाव से पहले दलित वोट बैंक को साधने में जुटी पार्टियां, जानें क्या है पार्टियों की रणनीति!

निकाय चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल सियासी समीकरण साधने में जुट गए हैं. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी दल निकाय चुनाव के जरिए अपने वोटबैंक को एकजुट रखना चाहते हैं

निकाय चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल सियासी समीकरण साधने में जुट गए हैं. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी दल निकाय चुनाव के जरिए अपने वोटबैंक को एकजुट रखना चाहते हैं. इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती और 6 दिसंबर को बाबा साहब डॉ. भीमराम अंबेडकर की पुण्यतिथि वार्ड स्तर मनाएगी. बूथ समितियों का गठन भी सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर ही होगा.

काशीराम की गाथा बताएगी बीएसपी
बसपा प्रमुख मायावती ने दलित वोट बैंक को सहेजने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. पार्टी परिनिर्वाण दिवस के मौके पर सभी मंडल मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित कर घर-घर काशीराम की गाथा बताएगी. इसके साथ ही संगठन में दलित समाज की भागीदारी बढ़ाई जाएगी. पार्टी की रणनीति डॉक्टर अंबेडकर के विचारों से दलित समाज को वाकिफ कराने की है. परिनिर्वाण दिवस पर बसपा के नेता दलितों के घर-घर जाकर अन्य दलों की दलित विरोधी नीतियों को उजागर करेंगे.

दलित वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में दलित समाज से प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. इसके साथ ही बसपा से ही ताल्लुक रखने वालों को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय और प्रदेश सम्मेलन में बसपा के पूर्व दलित नेताओं पर भरोसा जताया था. वह बसपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज, केके गौतम, लाल जी वर्मा, पूर्व आइएएस फतेहबहादुर सिंह को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी में हैं. जिससे बसपा के वोट में सेंध लगाई जा सके.

सपा और कांग्रेस ने बढ़ाई मायावती की टेंशन
बसपा ने संगठन के पदाधिकारियों को दलित समाज को जोड़ने का निर्देश दिया है. डॉक्टर अंबेडकर के विचारों से दलित समाज को वाकिफ कराया जाएगा. परिनिर्वाण दिवस पर बसपा के नेता दलितों के घर-घर जाकर सपा और कांग्रेस की नीतियों से अवगत कराएंगे. पार्टी परिनिर्वाण दिवस के मौके पर आज सभी मंडल मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित कर घर-घर काशीराम की गाथा बताएगी. इसके साथ ही संगठन में दलित समाज की भागीदारी बढ़ाई जाएगी.

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