काशी के चेतगंज की नक्कटैया: 1888 से हो रही यह लीला

करवाचौथ के दिन बनारस में लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटने की लीला होती ह

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ डटकर विरोध करने का अहम प्रतीक है।

देश भर में महिलाएं करवाचौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं, लेकिन काशी में इस दिन का महत्व अनूठा है। करवाचौथ का दिन बनारस में नक्कटैया मेले के लिए प्रसिद्ध है, जहां लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटने की लीला होती है। इस लीला को अंग्रेजी हुक्मरानों के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और अंग्रेज चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। तब से आज तक यह लीला चलती आ रही है। लीला देखने लाखों लोग बिहार, मध्यप्रदेश समेत पूरे पूर्वांचल के जिलों से यहां पहुंचते हैं।

श्री चेतगंज रामलीला समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र निगम ने बताया कि वाराणसी की नक्कटैया लाग वाहन का मेला है, जिसमें लाग के माध्यम से समाज के प्रासंगिक प्रसंग को दिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मेले की शुरुआत सन 1888 में करवाचौथ के दिन बाबा फतेहराम ने की थी। बाबा फतेहराम ने अंग्रेजों से भगवान राम के माध्यम से लड़ने का मार्ग तलाशा। उन्होंने रामायण के शूर्पणखा की नक्कटैया के प्रसंग के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करना शुरू किया।

मेला में लाग वाहन के माध्यम से अंग्रेजों द्वारा देश की जनता को प्रताड़ित करने के दृश्य को दिखाया जैसे जेल में कैदियों पर डंडे बरसाना, गुलामों जैसा व्यवहार करना, फांसी देना समेत कई प्रकार के दुर्व्यवहार जो अंग्रेज गुलाम भारत में लोगों के साथ करते थे, इसे खुलेआम सड़क पर झांकियों में दिखाया। चूकि यह मेला श्रीराम की आस्था से जुड़ा था, ऐसे में किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं थी कि मेले को बंद करा दे।

बाबा फतेहराम ने मेले की शुरुआत तत्कालीन अंग्रेज जिलाधिकारी से कराई थी, ऐसे में यह परंपरा आज भी कायम है। श्री चेतगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया कि यह मेला पूर्णतया प्रशासनिक है। इस मेले की शुरुआत के एक माह पूर्व मलदहिया से चेतगंज इलाके की सभी सड़कें प्रशासन बनवाता है ताकि लाग के दौरान कोई अनहोनी ना हो।

शाम 6 बजे से अगली सुबह 6 बजे तक चलता है मेला
नक्कटैया मेला शाम 6:00 बजे शुरू हो जाता है। सबसे पहले चेतगंज स्थित श्री राम जानकी मंदिर से राम, लक्ष्मण, सीता रथ पर आते हैं। नगर भ्रमण करते हुए चेतगंज पहुंचकर रात के 9 से 10 के बीच में लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक काटते हैं। लाग विमान देर रात मलदहिया चौराहा से निकलकर चेतगंज चौराहा पहुंचता है। इसे देखने लाखों लोग सड़क पर उतर आते हैं।

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