ब्रह्मलीन दोनों महंत को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ खुद का मूल्‍यांकन भी करें : योगी आदित्‍यनाथ

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 51वीं और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 6वीं पुण्‍यतिथ‍ि सप्‍ताह समारोह के अवसर पर ‘ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ को श्रद्धांजलि’ विषय पर अपना वक्‍तव्‍य दिया. इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि दोनों ब्रह्मलीन महंत की पुण्‍यतिथ‍ि एक दिन के अंतराल पर पड़ती है. आज ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्‍यतिथ‍ि के अवसर पर हमें श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है. उन्‍होंने कहा कि हमें कृतज्ञता के साथ अपना मूल्‍यांकन करने का अवसर भी मिला है.

वीओ- योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और गोरक्षपीठ को देखना चाहिए कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के प्रयासों को उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने किस तरह से आगे बढ़ाया और आज हम उनके प्रयासों से कहां तक पहुंचे हैं. उन्‍होंने कहा कि शिक्षा परिषद के आचार्यो को देखना चाहिए कि नित नए विकास के लिए कैसे कार्य किया जाए. एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाने के लिए आगे बढ़ाने के लिए लोकमंगल के पथ पर हम कैसे बढ़ सकते हैं. ये हमें इस प्रतिस्पर्धा में देखना होगा.

वैश्विक महामारी कोरोना काल में गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने अनवरत शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाया है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि एक दिन के अंतराल पर पड़ती है. दोनों की पुण्यतिथि हमें कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर देता है. दोनों ब्रह्मलीन महंत ने इस पीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के बारे में क्या सोचा था. अपनी कमियों का मूल्यांकन करते हुए सफलता के पथ ऊपर बढ़ सकें.

हमारा प्रत्येक दिन हमें कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है. 500 वर्षों के बाद जब आज राम मंदिर बनने जा रहा है कोई उनके संघर्षों का परिणाम है. ये श्रद्धांजलि कार्यक्रम अपने मूल्यांकन का भी अवसर देता है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज के प्रयास को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने किस तरह से आगे बढ़ाया. ये कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए. हम आज यहां तक पहुँचे हैं, ये उनके प्रयासों का फल है. जातिवाद, क्षेत्रवाद, जातीयता और किसी भी भेदभाव को छोड़कर सबके लिए कार्य किया.

गोरखपुर के दोनों ब्रह्मलीन महंतों के श्रद्धांजलि के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और गोरखपुर की ओर से कोविड-19 के नियमों के पालन करते हुए. इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया है. इन दोनों महापुरुषों के 125वीं और शताब्दी जयंती वर्ष कार्यक्रम मनाया गया.

ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत आदित्यनाथ के श्रद्धांजलि के अवसर पर हमें अपने मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है. आपका कार्य, आपकी संस्था और लोगों के लिए मानक बनें, औरों के लिए आदर्श बन सकें. यह जहां पर नए प्रयोग करते हुए, हम लोगों ने लोगों को भी यह प्रयास करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र पिछले 5 महीने से स्कूल कॉलेज बंद हैं. वर्चुअल क्लासेस प्रारंभ हुई हैं. हम शिक्षा के हम परिवर्तन ला सकते हैं. हमें बच्चों को तकनीक के साथ जोड़कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए. तकनीक सस्ती और सहज भी हो.

ज्ञान के परिमार्जन के अवसर मिलने से ही सशक्त भारत के निर्माण के लिए हम आगे बढ़ रहे हैं. तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहतर कार्य कर सकते हैं. जो कोरोना अस्पताल हैं वो कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं. लेकिन, जो सामान्य मरीज हैं, उनके इलाज के लिए तकनीक के माध्यम से अस्पतालों को कार्य करना होगा. हर तकनीक को जितना सहज और सरल बनाकर हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेंगे. उतना ही सरलता से हम आमजन तक हम उसे पहुंचा पाएंगे.

पूरे करोना कॉल में गरीब को जो हम पैसा देते थे, वह सीधे उसके खाते में जाता रहा है. किसी को उसके घर जाकर देने की जरूरत नहीं थी. एक बटन दबाएं और पैसा करोड़ों लोगों के खाते में पहुंच जाता था. कोरोना का मतलब यह नहीं हो सकता कि सारे कार्य को ठप कर दो. बीमारी का यह मतलब नहीं कि सारे काम रोक दें. हमें इसके लिए तकनीक के माध्यम से रास्ता खोजना होगा.

अपनी तकनीक के माध्यम से हम एक नया भाव पैदा करके कार्य कर सकते हैं. कोरोना का मतलब यह नहीं कि सभी शिक्षण संस्थाएं अपना काम धाम बन्द करके बैठ जाएं. कोरोना से बचते हुए हमें निरंतर नए प्रयोग करके आगे बढ़ना है. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हमें मूल्यांकन भी करना चाहिए. शिक्षण प्रशिक्षण के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाली संस्थाएं अपना मूल्यांकन करें. वे देखें कि उन्होंने कहां पर प्रगति की और उनकी कहां पर प्रगति बाधित हुई है.

महत्वपूर्ण भी है क्योंकि आज शिक्षक दिवस भी है. हां जी सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन की जयंती का दिन भी है. जो गुरुओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का हमें अवसर प्रदान करता है. इसी सप्ताह देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी दिवंगत हुए हैं. राजनीति में और सार्वजनिक जीवन में शुचिता और पारदर्शिता के साथ कैसे हर नागरिक सम्मान का पात्र बन सकता है श्री प्रणब मुखर्जी उसके आदर्श रहे हैं. इस अवसर पर मैं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

जो लोग यहां पर हैं उनके अलावा जो लोग यहां तक नहीं आ सकते उन तक पहुंचने के लिए अन्य माध्यम को तलाशा गया है. तकनीक के माध्‍यम से उन्‍हें अपने साथ जोड़ रहे हैं. जब विद्यालय खुले तो साफ-सफाई और परिवर्तन से जो बच्चे आये उन्हें बदलाव दिखाई दे. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 51वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम को कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ संपन्न कराने के लिए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और गोरक्षपीठ से जुड़े हुए सभी पदाधिकारियों को धन्यवाद देता हूं.

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