केंद्रीय मंत्री को हराकर विधायक बने, मुखिया चुनाव हारे

अलौली के पूर्व विधायक चंदन कुमार उर्फ चंदन राम अपने पंचायत के मुखिया भी नहीं बन सके। उनको उनके ही प्रतिनिधि ने करीब 1,300 मतों से पराजित कर दिया। राम 2015 के विधानसभा चुनाव में RJD के टिकट पर विधायक बने थे। उन्होंने पशुपति कुमार पारस (वर्तमान केंद्रीय मंत्री) को पराजित किया था।

चंदन राम अपने पैतृक पंचायत तेताराबाद से इस बार मुखिया पद से अपनी किस्मत आजमा रहे थे। पंचायत चुनाव में पूर्व विधायक के चुनावी रण में उतरते ही उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन वह 500 का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाए। उनको उनके ही पूर्व प्रतिनिधि नंदकेश कुमार उर्फ मुन्ना प्रताप ने पराजित कर दिया।

जनता का फैसला ही सर्वमान्य : पूर्व विधायक

मुखिया का चुनाव हारने के बाद पूर्व विधायक ने इसे जनता का फैसला बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वमान्य होता है। जनता ने समर्थन नहीं दिया। इसके कारण हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, विधायक के बाद मुखिया चुनाव लड़ने और उसमें मिली हार के कारणों के बारे में वह कुछ भी बोलने से बचते दिखे।

भाई भी नहीं बन सके जिप सदस्य

पूर्व विधायक के भाई पिंटू राम भी जिप क्षेत्र संख्या-4 से अपना भाग्य आजमा रहे थे, लेकिन इस बार उनको भी जनता ने नकार दिया। यह उनकी सीटिंग सीट थी।

2015 में पारस को दी थी पटखनी

2015 के विधानसभा में लालू यादव ने अलौली विधानसभा के नियोजित शिक्षक चंदन राम को खड़ा किया था। उनके विपक्ष में वर्तमान केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार चुनावी मैदान में थे। उस समय पारस का अलौली सीट उनके ही पास था, लेकिन RJD की लहर में वे चंदन राम से करीब 27 हजार वोटों से पराजित हो गए थे।

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