अयोध्या मामले पर फैसले के बाद अब बाबरी ध्वंस के मामले में आ सकती है तेजी

राम मंदिर की विवादित ज़मीन पर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के बाद बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के आपराधिक मामले में भी तेज़ी आ सकती है। लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे इस आपराधिक मामले में अप्रैल 2020 तक फैसला आने की संभावना है। बता दें कि इस मामले में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ सुनवाई 25 मई, 2017 को लखनऊ की इस विशेष अदालत में शुरू हुई थी।

बाबरी विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत और गवाही पेश करने की आखिरी तारीख 24 दिसंबर तय की है। 29 सितंबर, 2019 को आरेाप तय किए जाने के बाद अदालत द्वारा बार-बार आदेश जारी करने के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के खिलाफ गवाह नहीं लाने पर हाल ही में कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को फटकार लगाई गई थी। बता दें कि 19 जुलाई 2019 को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में नौ महीने में फैसला सुनाने के निर्देश दिए थे।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बीजेपी नेताओं को बरी करने के फैसले को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने 19 अप्रैल 2017 से निचली अदालत को दो साल में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। इसके बाद 25 मई, 2017 को लखनऊ की इस विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हुई थी। वहीँ कल्याण सिंह पर राजस्थान के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद सितंबर, 2019 में सुनवाई शुरू हुई। राज्यपाल के रूप में उन्हें कानूनी प्रक्रिया से छूट प्राप्त थी। वर्ष 1992 में छह दिसंबर को जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, तब सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

बता दें कि बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने को लेकर मामला दर्ज है। उनके अलावा 5 अक्टूबर 1993 को सीबीआई ने 48 व्यक्तियों के खिलाफ समेकित आरोपपत्र दायर किया था। इनमे बाल साहब ठाकरे, कल्याण सिंह, मोरेश्वर सावे, चंपत राय बंसल, सतीश प्रधान, महंत अवैद्यनाथ, धरमदास, महंत नृत्य गोपाल दास, महामंडलेश्वर जगदीश मुनी, रामविलास वेदांती, वैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास और डॉ. सतीश चंद्र नागर जैसे बड़े नाम शामिल थे।

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