औरैया : गबन के मामले की हुई जांच, मंदिर का महंत निष्कासित

औरैया। जनपद के फफूंद थाना क्षेत्र के खानपुर गाँव स्थित कबीर मंदिर आश्रम में महंत मुक्तामणि की देहांत के बाद आश्रम संचालक का कार्यभार संभाले चरनदास पर लगे तमाम आरोपों की सत्यता पाए गए। जिसके बाद उनकी जाँच हेतु बनी साधू-संतों की कमेटी ने उन्हें आश्रम से निष्कासित कर दिया है।

इस बारे में मंदिर प्रबंधन की ओर से पुलिस को सूचना दी गयी है वहीं इस बारे में आरोपी संचालक को नोटिस देते हुए आश्रम खाली करने को कहा गया है। महंत व साधु संतों का कहना है कि कार्यवाही के लिए वह डीएम व एसपी से भी मिलेंगे।

फफूंद क्षेत्र के खानपुर, फफूंद गांव में कबीर पंथ समाज अनुयाइयों का प्रसिद्ध आश्रम बना हुआ है, जो सद्गुरु कबीर मंदिर बाल आश्रम के नाम से जाना जाता है।आश्रम में तमाम साधू सन्त रहते थे। 2013 में आश्रम की जिम्मेदारी संभाले महंत मुक्तामणि दास के निधन के बाद उस वक्त आश्रम में ही रह रहे उनके शिष्य संतदास को आश्रम की देखभाल सौंपी गयी। कुछ ही दिनों के अंदर उनका भी निधन हो जाने के बाद पांच सदस्यीय कमेटी ने आश्रम का पुजारी मोतीदास महाराज को नियुक्त कर दिया।

वही, कबीर विज्ञान आश्रम मुनागंज के वरिष्ठ महंत रविन्द्र दास साहब ने साधुओं की मर्जी से आश्रम की सेवा कार्य के लिए आश्रम में ही रहने वाले चरनदास को नियुक्त कर दिया। कुछ दिन पूर्व आश्रम के साधुओं ने उन पर आरोप लगाए थे कि वह साधुओं के साथ गलत व्यवहार करते है और उन्हें अपमानित करते है। संचालक पर साधुओं ने यह भी आरोप लगाए थे कि उन्होने आश्रम के धन में भी लाखों का गबन किया है जिसकी शिकायत समाज के तमाम स्थानों के महंत और साधुओं से की गई।

इसके बाद वरिष्ठ महंत रविन्द्र दास साहब मुनागंज की अगुवाई में आरोपों की तहकीकात करने पहुंचे बरीपुर गुफा जालौन के महंत उमेश सुन्दरदास कोतवाल व महंत सत्य शुक्रदास औरैया सहित 20 से अधिक साधु संतों ने आश्रम पर पहुंचकर साधुओं से जानकारी की। साधुओं द्वारा स्टाम्प पेपर पर तमाम साधु संतों के हस्ताक्षर कराकर आरोपित संचालक के खिलाफ गवाही दी। इसके बाद गुरुवार को आरोपों की जाँच कर संतों की समिति द्वारा आरोपी संत को निष्कासित करने की संस्तुति पर वरिष्ठ सन्त महन्त रविन्द्र दास ने बाल आश्रम खानपुर से निष्कासित कर दिया। आश्रम को खाली कराने के लिए कबीर आश्रम केशमपुर के महंत अखंड दास ने पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया है। साधु संतों का कहना था कि वह लोग डीएम-एसपी से भी कार्यवाही के लिए प्रार्थनापत्र देंगे।

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