क्या भारतीय डॉक्टर कोरोना वायरस का इलाज करने में सक्षम हैं ! तेज़ी से फ़ैल रहा है कोरोना वायरस

अनु जैन रोहतगी

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से एक बात है जो सब को परेशान कर रही है कि यदि मरीज इसी रफ्तार से बढ़ते हैं तो क्या हमारा मेडिकल तंत्र जिसमें सब कुछ शामिल है जैसे कि डाक्टर, लैब, अस्पताल, इंटनसिव केयर यूनिट और सबसे ज्यादा लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की पहल। हालांकि सरकार ने अपनी तरफ से इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए तमाम पुख्ता इंतजाम का दावा किया है। जैसे एयरपोर्ट पर स्कीनिंग, संदिग्ध मरीजों को अलग रखना, मरीजों के संपर्क में आए तमाम लोगों को टेस्ट करना। लेकिन कहीं ना कहीं तो चूक हुई है। जिसके कारण बाहर देशों से आए कुछ लोग एयरपोर्ट पर बिना स्क्रीनिंग के निकल गए और वायरस को और लोगों में फैला दिया।

यहां दूसरा सवाल हमारे डाक्टरों पर है, महानगरों और बड़े शहरों में माना जा रहा है कि डाक्टर अपडेट हैं और संदिग्घ मरीजों को लक्षणों के आधार पर आगे जांच के लिए रेफर कर दें, लेकिन छोटी-छोटी जगहों पर जैसे गांवों में डाकटर इतने अपडेट नहीं हैं साथ ही यहां अभी भी झोला छाप डाक्टरों का बोलबाला है। यदि कोई मरीज इनके पास पहुंच जाता है तो ये अपने ही तरीके अपनाते हैं और मरीज खुद तो बीमार रहेगा , कई और को बीमार करने का कारण बन जाएगा। इस बात को मद्देनजर रखकर सरकार को बहुत ही ठोस गाइडलाइंस बनानी होंगी।

इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है और इसका बिगड़ा रूप निमोनिया -यानी लंग्स पर हमला कर रहा है। जो बहुत ही गंभीर है । इसके लिए इंटेंसिव केयर यूनिट का होना बहुत जरूरी है जो ना गांवों में हैं ना ही छोटे अस्पताल में, ये एक बड़ा सवाल भी सरकार के लिए है।

संदिग्ध मरीज लगातार बढ़ रहे हैं और उनकी सैंपल जांच के लिए आधुनिक बड़ी संख्या में लैब जरूरी है, जिसकी कमी भी देश में हैं।

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