मोदी के बनारस पर अखिलेश की नज़र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर समाजवादी पार्टी पार्टी की अक्सर नजर बनी रहती है। चलिए आपको लेकर चलते हैं 2014 के लोकसभा चुनाव में जब 2014 में लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद बने और देश के प्रधानमंत्री पहली बार बने तब उस वक्त उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी।

अखिलेश यादव बनारस में अपने काम के दम पर जीत दर्ज कराना चाहते थे अखिलेश यादव ने बनारस में कई सारे काम करवाने शुरू किए जैसे वरुणा नदी पर रिवरफ्रंट बनवाना हुआ हो चाहे शहर सुंदरीकरण ही बात करें या अत्याधुनिक बनारस के घाटों पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कामों को लेकर खींचतान फिलहाल एक ही स्थान 2017 तक चलती आ रही है। जिसके बाद 2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की बनारस में हर सीटों पर सीधी लड़ाई बनी रही इसके बाद 2019 में फिर से लोकसभा चुनाव आया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से अपने संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किए इस दौरान प्रधानमंत्री के विरोध में सेना से बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया। तेज बहादुर यादव वही सिपाही हैं जिन्होंने सेना के अंदर जवानों को दिए जा रहे हैं। खराब खाने को लेकर सवाल उठाए मगर उनका आवेदन स्वीकार नहीं हुआ इस दौरान तेज बहादुर यादव ने आरोप लगाया है कि यह सत्ता की हनक की वजह से हमारे साथ गलत हुआ और हमें चुनाव नहीं लड़ने दिया जा रहा है।

इसके बाद समाजवादी पार्टी ने अपना कैंडिडेट बदला और शालिनी यादव को लोकसभा का उम्मीदवार घोषित किया गया। जिसके बाद प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और शालिनी यादव को करारी हार झेलनी पड़ी फिलहाल अब 2020 में बनारस से एमएलसी के खंड शिक्षक के चुनाव में सभी पार्टियों ने अपने भाग्य आजमाएं और भाजपा ने पूरी ताकत लगाई मगर समाजवादी पार्टी ने बाजी मार ली और समाजवादी पार्टी के लाल बिहारी यादव बनारस से एमएलसी चुन लिए गए अब देखना यह होगा कि 2022 के विधानसभा के चुनाव में बनारस किसको देता है। अपना साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को या अखिलेश यादव को या प्रियंका गांधी की गणित बनारस में बैठेगी फिट यह बहन जी का हुआ स्वागत यह सब भी देखने वाली बात होगी।

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