फ़िरोज़ाबाद : उपद्रवियों से एक हाजी ने बचाई सिपाही अजय की जान 

शुक्रवार को शहर में हुए उपद्रव के दौरान थाना उत्तर के सिपाही अजय को हाईवे पर उग्र भीड़ ने घेर लिया तथा सिपाही अजय की बुरी तरह मारपीट शुरू कर दी | मुस्लिम इलाके में सिपाही को बचाने के लिए भगवान के रूप में हाजी कदीर पहुंचे। दरअसल हाजी दंगे के दौरान ही पास की मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे | उनको पता लगा कि एक सिपाही को भीड़ ने घेर का बुरी तरह पीटा है । लहूलूहान हालत में सिपाही अजय को हाजी कदीर उग्र भीड़ से छुड़ा कर अपने घर ले पहुंचे और उसकी वर्दी उतार कर अपने कपड़े पहनाये। उसके बाद चुपचाप सिपाही अजय को अपना रिश्तेदार बताकर घर से रवाना कर दिया।

दरअसल 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद ग्रुप भीड़ उपद्रव कर रही थी | जिसमें पुलिस और उपद्रवयों की तरफ से जमकर फायरिंग की गई | बता दें कि अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है | 70 से ज्यादा पुलिस के अधिकारी कर्मचारी घायल हुए थे | इसमें 35 कुकडमे दर्ज हो चुके हैं जिसमे 29 नामजद है 2500 अज्ञात है 14 को जेल भेजा है , 96 संदिग्ध के फोटो जारी किए गए है ।

आज अजय सिपाही का परिवार  हाजी कदीर को अपना भगवान बना रहा है | हाजी कदीर जब अजय के घर उसका हाल जानने पहुंचे तो अजय की मां पत्नी और बच्चों ने हाजी कदीर को मिठाई खिला कर उनका स्वागत सत्कार किया तथा अजय के बच्चों हाजी के चरण छूकर आशीर्वाद लिए। सिपाही की मां डबडबाई आंखों से हाजी को अपना भगवान मान रही है। उनका कहना है कि उनके बेटे अजय की जान हाजी ने ही बचाई है और हाजी कदीर उनके लिए भगवान समान है इस तरह से हाजी अधीर द्वारा एक सिपाही की जान बचाने की सराहना सभी लोग कर रहे हैं |

इस दौरान कदीर हाजी ने बताया कि वह दोपहर की नमाज पढ़ने गए थे तभी हाईवे पर उन्होंने भगदड़ देखी और मुझे पता लगा कि एक सिपाही को घेर कर पीटा जा रहा है | उसका हाथ तोड़ दिया गया है | वह बाहर निकले और लोगों को भगा कर अजय पुलिसकर्मी घायल अवस्था में खून से लथपथ उसको अपने मस्जिद के पास बने घर में ले गए और उनकी मरहम पट्टी की बाद में हाजी ने अपने कपड़े पठान सूट पहना का अपने ही रिश्तेदार बता कर उसे चुपचाप वहां से रवाना कर दिया |

वाहन अजय कुमार पुलिसकर्मी हाथ में चोट दिखाते हुए कहते है कि वह आज जो कुछ भी है वह हाजी कदीर के बदौलत ही है | वह तो अपनी जान लगभग खो चुका था | अजय ने बताया कि उसे ऐसा नहीं लगा कि वह जिंदा बच पायेगा | तभी हाजी कदीर आ गए और उन्होंने अपने कपड़े दिए और चुपचाप वहां से निकाल दिया |

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