कैसे मध्यप्रदेश में दुर्भाग्य बन गई मोदी सरकार की सौभाग्य योजना!

  1. बिजली पोल , मीटर लगे हैं पर बिजली नहीं
  2. अँधेरे में रात गुजारने पर मजबूर ग्रामीण, प्रभारी मंत्री ने भी अनसुना किया शिकायत को 

आज भारत देश चांद ओर अंतरिक्ष तक पहुच गया है ओर दुनिया मे भारत का नाम हर जगह रोशन हो रहा है तो वही दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग बिजली का इंतजार कर रहे है। केन्द्र व प्रदेश की सरकारें विकास के लाख दावे करें लेकिन जमीनी हकीकत सामने आ ही जाती है। ऐसा ही मामला रतलाम ग्रामीण विधानसाभा क्षेत्र के आदिवासी बहुल क्षेत्र रावटी में ग्राम पंचायत राजपुरा के अधीनस्थ आने वाले गांवों में देखने को मिला। जहा आज भी आदिवासियों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। ग्रामीण अंधेरे में जीवन व्याप्त कर रहे है।

 

बीजेपी की सौभाग्य योजना के तहर हर एक घर में बिजली देना का प्रावधान किया गया था, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आदिवासी अधेरे में जीवन जीने पर मजबूर है |
निलशिखा बिजली कंपनी इसका जीता जागता उदाहरण है। जी हां 40 करोड़ का बिजली प्रोजेक्ट बिजली कंपनी निलशिखा को भाजपा शिवराज सरकार ने केन्द्र की मोदी सरकार की सोभाग्य योजना को घर घर बिजली पहुंचाने का काम सौंपा था मगर कंपनी की लेटलतीफी के चलते और चुनाव आचार संहिता लगने से करोडो़ं रुपयो का काम अधूरा रह गया | सरकार बदली फिर जब कंपनी ने कागजों पर घर घर बिजली लाइट पहुंचाई तो अधिकारियों ने कंपनी का करोडो़ रुपए के बिल भी पास कर दिया । रावटी क्षेत्र के धोलावाड़ निचली बस्ती , नई आबादी, आमलीपाडा़ चिल्लर ,धबाई पाडा,सावलिया रुडी ,भुवनपाडा़, में अभी बिजली व्यवस्था नही पहुंची है | किन्ही गांव में पोल लगे कुछ माह हुए थे कि तेज हवा ने बिजली कंपनी की पोल खोल कर रख दी क्षेत्र में कई बिजली पोल जमीन पर धराशाही हो गए ।

ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने पर एक विचित्र बात और सामने आती है कि यह योजना या विकास 2013 में प्रारंभ हुआ यदि पूर्व की केन्द्र सरकार को देखें तो यहां विकास के नाम पर शून्य लगती है। मतलब साफ हे की केन्द्र में पिछले 55 सालो से काग्रेंस राज करती आ रही थी ।

परेशान ग्रामीणो ने कई बार इसकी शिकायत बिजली अधिकारी, क्षेत्रीय विधायक व प्रभारी मंत्री सचिन यादव से भी की मगर कोई हल नही निकला । जब घर घर पहुंची बिजली की पड़ताल करने मीडियाकर्मी पहुंचे तो कागजों पर हुए करोडो़ं रुपयो के प्रोजेक्ट के खेल का पर्दाफाश हो गया | क्षेत्र के कई घर आज भी अंधेरे में डूबे हैं बिजली पोल तो लगे हैं मगर मीटर दीवार पर ही लटके हुए दिखे भी तो कुछ घर के अंदर पडे़ दिखे | जब इस खबर पर आला अधिकारियों से चर्चा करी तो अधिकारी प्राइवेट कंपनी को ठेका देने का हवाला देकर बात को टालते रहे | कोई कहने लगे कि यदि ऐसा मामला है तो कल दिखावा लेते हैं निलशिखा बिजली कंपनी और अधिकारियों की जुगलबंदी के कारण आदिवासी क्षेत्र के लोग आज भी अंधेरे में अपना जीवन बसर करने को मजबूर है । बिजली न मिलने से परेशान ग्रामीणों ने फिर कलेक्टोरेट में एसडीएम को प्रदेश मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

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