कौन हैं पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिन्होंने ममता को CM बनवाया, लेकिन अब देंगे ओवैसी का साथ

पीरजादा अब्बास सिद्दीकी पश्चिम बंगाल की फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं. इस दरगाह का पूरे दक्षिण बंगाल के इलाके में काफी प्रभावशाली माना जाता है। अब्बास सिद्दीकी काफी समय से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थक भी रह चुके हैं।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने और सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले फुरफरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी  इस बार के विधानसभा चुनाव में कुछ अलग सियासी दांवपेच खेलने में लगे हुए हैं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से उनकी मुलाकात ने साफ कर दिया है कि इस बार ममता बनर्जी की राह आसान नहीं होगी। एक ओर जहां बीजेपी सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस को टक्कर देती दिखाई दे रही है वहीं ओवैसी और ​अब्बास सिद्दीकी का इस तरह एक दूसरे के साथ आना ममता के वोट बैंक पर बड़ी चोट कर सकता है।

फुरफुरा शरीफ की अहमियत

फुरफुरा शरीफ, जिसे फुरफुरा भी कहते हैं, पश्चिम बंगाल के हुगली जिला स्थित श्रीरामपुर अनुमंडल के जंगीपाड़ा ब्लॉक का एक गांव है। फुरफुरा गांव में वर्ष 1375 में मुकलिश खान ने एक मसजिद का निर्माण कराया था, जो अब बंगाली मुस्लिमों की आस्था का केंद्र बन चुका है। उर्स एवं पीर मेला के दौरान यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

फुरफुरा शरीफ में अबु बकर सिद्दीकी और उनके पांच बेटों की मजार है। इसे पांच हुजूर केबला कहते हैं। अबु बकर समाज सुधारक थे। धर्म में उनकी गहरी आस्था थी। उन्होंने कई चैरिटेबल संस्था की स्थापना की. मदरसे बनवाये, अनाथालय एवं स्कूल और अन्य संस्थानों की नींव रखी। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए फुरफुरा शरीफ में बेटियों के लिए स्कूल की स्थापना की, इसका नाम सिद्दीका हाई स्कूल रखा।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिले 40 फीसद वोट

बंगाल में टीएमसी की चिंता बढ़ने के पीछे की एक वजह यह भी है कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने वोटबैंक में भारी इजाफा किया था। बंगाल की अगल विधानसभा सीटों की बात की जाए हो वहां 294 सीटें हैं। इसमें से 2016 के चुनाव में टीएमसी को रिकॉर्ड 211, लेफ्ट को 33, कांग्रेस को 44 और बीजेपी को 3 सीटें मिली थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो टीएमसी को जहां 43.3 फीसद वोट मिले तो बीजेपी 40.3 फीसद वोट हासिल करने में कामयाब रही। इसके बाद से भी बीजेपी के बंगाल में हौंसले बुलंद हैं।

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