‘टू प्लस टू’: भारत को सैन्य और साइबर युद्ध मोर्चों पर मिली बढ़त

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका ने अपने रक्षा सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हुए मंगलवार को ‘टू प्लस टू’ वार्ता के दौरान बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) पर हस्ताक्षर किए जिससे अब भारत को सीमा क्षेत्रों के बारे में उपग्रह और अन्य दूर संवेदी डाटा मिल सकेगा। भारत पड़ोसी देशों की किसी भी सैन्य गतिविधि पर निगरानी रख सकेगा तथा साइबर रक्षा क्षेत्र में दबदबा कायम कर सकेगा।

भारत और अमेरिका के बीच विगत वर्षो के दौरान होने वाला यह चौथा महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस समझौते से देश की रक्षा क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी।

भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ वार्ता प्रक्रिया के तहत मंगलवार को नई दिल्ली में हुई तीसरी बैठक में बीईसीए के अलावा चार अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए। इस ‘टू प्लस टू’ बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया जबकि भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर इसमें शामिल हुए।

अमेरिका में अगले सप्ताह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले प्रशासन बदलाव की संभावना के बावजूद बैठक के आयोजन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बीईसीए पर भारत की ओर से रक्षा मंत्रालय के अधिकारी और अमेरिका के नेश्नल जीओ स्पेशियल इंटेलिजेंस एजेंसी के अधिकारी ने हस्ताक्षर किए।

रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार इस समझौते से भारत को संभावित युद्ध या साइबर युद्ध में पड़ोसी देशों पर निर्णायक बढ़त हासिल होगी। शत्रु सेना और मिसाइलों सहित सैन्य साजो-सामान की तैनाती के बारे में निश्चित सूचना हासिल होगी तथा शत्रु देश की इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों को निष्क्रिय किया जा सकेगा।

बैठक के बाद दोनों देशों के मंत्रियों ने एक साझा प्रेस वार्ता में अपने वक्तव्य पढ़े और कुछ प्रश्नों के उत्तर दिए।

माइक पॉम्पियो और मार्क एस्पर ने इस बैठक को एशिया में चीन की बढ़ती हुई आक्रामक गतिविधियां के संदर्भ में महत्वपूर्ण बताया जबकि पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव के हालात के बावजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन का उल्लेख नहीं किया। रक्षा मंत्री ने अपने वक्तव्य में केवल भारत की रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी की बात कही।

दोनों देशों के बीच मंगलवार की बैठक को एशिया में चार देशों के चतुर्गुट के औपचारिक रूप लेने की ओर एक कदम माना जा रहा है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के चतुर्गुट को सैन्य शक्ल देने के लिए अमेरिका जोर डाल रहा है। कुछ ही दिन पहले भारत ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल होने का निमंत्रण दिया था। अब तक केवल भारत अमेरिका और जापान की नौसेना ही मालाबार अभ्यास में शामिल होती थी।

अमेरिकी मंत्रियों ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए सैन्य संघर्ष में भारतीय सैनिकों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए एशिया में चीन और उसकी सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की आक्रामक गतिविधियां की चर्चा की तथा इस पर काबू पाने के लिए आपसी सहयोग की वकालत की।

इसके अलावा टू प्लस टू में भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के बीच पृथ्वी अवलोकन और पृथ्वी विज्ञान में तकनीकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन हुआ। ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप, भारत के साथ सहयोग के विषय में भारत और अमेरिका की सरकार के बीच समझौता ज्ञापन के विस्तार पर सहमति बनी। डाक परिचालकों (भारत पोस्ट और संयुक्त राज्य अमेरिका डाक सेवा) के बीच सीमा शुल्क डेटा के इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के लिए समझौता हुआ। आयुर्वेद और कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के लिए दोनों ने मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

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