सहारनपुर पंचायती चुनाव को लेकर प्रधानों की खंगाली जा रही कुंडली

सहारनपुर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। वहीं पंचायत चुनाव को लेकर पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह अलर्ट है। यहां तक कि प्रधान पद के दावेदारों का आपराधिक रिकाॅर्ड भी खंगाला जा रहा है।वही पंचायत चुनाव के दौरान सहारनपुर जिले में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन प्रधानों, पूर्व प्रधानों और संभावित दावेदारों की जानकारी जुटाने में लगा है, उनके आपराधिक रिकाॅर्ड के साथ ग्राम पंचायत स्तर पर उनके सियासी वजूद का आंकलन किया जा रहा है। इसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा थाना प्रभारियों को खुफिया टीम की मदद से ऐसे लोगों का डाटा तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, अलग-अलग थाना क्षेत्रों में पुलिस टीमों को यह फीडबैक जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है। थाना पुलिस टीमों से कहा गया है कि चुनावी माहौल में ग्राम प्रधान, पूर्व प्रधान या संभावित दावेदार के पक्ष की ओर से आने वाली शिकायतों को अब गंभीरता से लिया जाए, और ग्राम पंचायत स्तर पर आपसी विवादों, आपराधिक गतिविधियों पर ध्यान रखने के साथ ही मिलावटी या जहरीली शराब बांटने जैसी घटनाओं पर कड़ी नजर रखी जाए, यदि कोई प्रधान, पूर्व प्रधान या दावेदार शराब बांटने के मामले में संलिप्त मिलेगा तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए आबकारी विभाग के साथ ही तहसील स्तर पर पुलिस एवं प्रशासन की टीमें लोगों को जागरूक भी कर रही हैं।

आपको बता दें यूपी की पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसम्बर 2020 को ही खत्म हो गया था, और उसके बाद 26 दिसंबर 2020 को यूपी की सभी ग्राम पंचायत पूर्णतया भंग कर दी गई थी, और अब जनपद में तृतीय पंचायती चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई है,और वही सहारनपुर एडीएम ई एस बी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया की सहारनपुर 11 विकासखंड पर 3269 मतदेय स्थल बनाए गए हैं और और जल्द ही सभी तैयारियां पूर्ण कर दी जाएंगी।

यूपी में पहला पंचायत चुनाव कब हुआ था?पंचायती राज ऐक्ट का गठन 1947 में हुआ था जिसके बाद 1949 में पंचायतों की स्थापना हुई थी। हालांकि यूपी में 1994 में 73वां संविधान संशोधन ऐक्ट लागू होते ही यूपी पंचायत राज अधिनियम-1947 और यूपी क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अधिनियम-1961 में संशोधन कर संवैधानिक व्यवस्था की गई। आरक्षण व्यवस्था लागू की गई थी। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग का गठन हुआ और फिर 1995 में पहली बार पंचायत चुनाव कराए गए।

अब तक कितने पंचायत चुनाव हो चुके हैं?
तीसरा चुनाव 2005 में, चौथा चुनाव 2010 में और पांचवा चुनाव 2015 में संपन्न हुआ था।
इस बार कब होंगे यूपी पंचायत चुनाव?
यूपी पंचायत चुनाव की तारीख अभी तय नहीं है हालांकि हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 30 अप्रैल से पहले पंचायत चुनाव संपन्न करा लिए जाएं। यूपी सरकार बोर्ड परीक्षाओं से पहले चुनाव कराने के प्रयास में हैं।
कितनी पंचायतों पर होना है चुनाव?

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पंचायत चुनाव में 3 तरह के चुनाव होते हैं। पहला जिला पंचायत, दूसरा क्षेत्र पंचायत और तीसरा ग्राम पंचायत। इसीलिए इसे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कहते हैं। प्रदेश में 75 जिला पंचायत, 821 क्षेत्र पंचायत और 59074 ग्राम पंचायत की सीटों पर चुनाव होने हैं।
किस कारण से चुनाव में हुई देरी?
यूपी की पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसम्बर 2020 को ही खत्म हो गया था। 26 दिसंबर को सभी ग्राम पंचायत पूर्णतया भंग कर दी गई थी। हालांकि कोरोना काल और परिसीमन की वजह से पंचायत चुनाव कराने में देरी हुई।
रोटेशन आरक्षण व्यवस्था क्या है?

योगी सरकार ने आरक्षण के लिए रोटेशनल सिस्टम लागू किया है। इसके अनुसार अगर एससी, एसटी या फिर ओबीसी की सीट जो 2015 में आरक्षित थीं, वह इस बार आरक्षण के दायरे में नहीं आएंगी। सीटों को आबादी के हिसाब से अलग-अलग कैटिगरी में आरक्षित किया जाएगा।
इस बार के चुनाव में कौन से नए दल उतरेंगे?

इस बार के पंचायत चुनावों में कई नए दलों के प्रत्याशी भी उतरेंगे। आम आदमी पार्टी, शिवसेना और AIMIM ने भी पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
इस बार कैसे होगा चुनाव?
इस बार पंचायत चुनाव पेपरलेस कराने की तैयारी है। उम्मीदवारों के नामांकन से लेकर काउंटिंग तक का ब्यौरा ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके साथ ही चुनाव ड्यूटी के लिए कर्मचारियों का ऑनलाइन ब्यौरा भी तैयार हो गया है।

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