भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस की इस यात्रा ने बीजेपी को किया था चारों खाने चित, जाने पूरा मामला!

जनसंपर्क अभियान के दौरान सोनिया गांधी का काफिला कहीं भी रुक जाता था. सोनिया गांधी इस दौरान महिलाओं से गले मिलतीं, उनके बच्चों को गोद में उठातीं

राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जारी है. दक्षिण भारत में इसे अच्छा जनसमर्थन मिल रहा है. गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस यात्रा से जुड़ीं और बेटे राहुल गांधी के साथ पदयात्रा में निकल पड़ीं. कर्नाटक में मंड्या जिले के पांडवपुरा तालुक से यात्रा शुरू हुई और मां-बेटे की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं. आज बेटे का साथ देने पहुंचीं सोनिया गांधी ने कभी ऐसी ही एक यात्रा निकाली थी.

 

 

2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी, तब सोनिया गांधी ने कुछ ऐसा ही जनंसंपर्क अभियान शुरू किया था. सोनिया गांधी की इस यात्रा का असर था कि आम चुनाव में खेल ही पलट गया. कैसी थी उनकी यह यात्रा, आइए इतिहास में झांक कर समझने की कोशिश करते हैं.

 

…जब सोनिया गांधी ने की थी संपर्क यात्रा

धीर-गंभीर दिखने वाली सोनिया गांधी राजनीति की माहिर खिलाड़ी मानी जाती हैं. वह दौर था, बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए का. 2004 में उस समय एक तरह से बीजेपी का स्वर्णिम काल चल रहा था. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की जीत तय मानी जा रही थी. अजेय नजर आ रहे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली ताकतवर बीजेपी को हराना मुश्किल लग रहा था. उस दौर में सोनिया गांधी ने अपनी सास पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह सड़कों पर उतरने का फैसला किया. तब सोनिया गांधी ने जमीन पर उतर कर जनसंपर्क अभियान की शुरुआत की थी.

 

भारत जोड़ो यात्रा जैसी तस्वीरें

खास तौर से उत्तर प्रदेश में सोनिया गांंव-गांव घूमीं. जमीन पर उतर कर उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई. इस अभियान में सोनिया गांधी लोगों से खूब मिलीं. उनका काफिला कहीं भी रुक जाता था. आज जैसी तस्वीरें राहुल गांधी की आ रही हैं, लोगों से मिलते-जुलते, बच्चों को गले लगाते, गोद में उठाते, दुलारते-पुचकारते… वैसी ही तस्वीरें तब सोनिया गांधी की आया करती थीं. हालांकि तब आज की तरह सोशल मीडिया का वायरल काल नहीं चल रहा था, लेकिन दृश्य लगभग ऐसा ही था.

 

सोनिया के अभियान का कमाल

जनसंपर्क अभियान के दौरान सोनिया गांधी का काफिला कहीं भी रुक जाता था. सोनिया गांधी इस दौरान महिलाओं से गले मिलतीं, उनके बच्चों को गोद में उठातीं. फोटों खिंंचातीं. उनके इस अभियान ने उन्हें और उनकी पार्टी कांग्रेस को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया. इस अभियान का असर आम चुनाव में देखने को मिला. चुनाव में कांग्रेस ने कमाल कर दिखाया और सरकार बनाने में कामयाब रही. केवल उत्तर प्रदेश में ही कांग्रेस को 21 सीटें मिलीं. तब एनडीए की हार हुई और सोनिया गांधी के नेतृत्व में केंद्र में यूपीए की सरकार बनी.

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