Sena vs Sena: ‘शिवसेना से अलग होने वाले विधायक हो अयोग्य’, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव और शिंदे गुट आमने-सामने

Sena vs Sena: ‘शिवसेना से अलग होने वाले विधायक हो अयोग्य’, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव और शिंदे गुट आमने-सामने

Sena vs Sena: ‘शिवसेना से अलग होने वाले विधायक हो अयोग्य’, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव और शिंदे गुट आमने-सामने

 

Supreme Court Hearing: महाराष्ट्र (Maharashtra) में 15 विधायकों (MLAs) की सदस्यता रद्द करने वाली याचिका पर आज फैसला आएगा. सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर टिकी हुई है.

 

शिवसेना के बागी विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस बीच उद्धव सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से कहा कि शिवसेना से अलग हुए 16 विधायकों को अयोग्य करार दिया जाना चाहिए. गौरतलब है कि संसद में एकनाथ शिंदे गुट (Eknath Shinde Camp) को मान्यता मिल चुकी है. सुनवाई के एक दिन पहले मंगलवार 19 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल शेवाले को शिवसेना नेता (Shiv Sena Leader) के रूप में मान्यता दे दी है.

कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह से हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है, क्योंकि शेडयूल 10 में संरक्षण नहीं दिया गया है. मैं इस पर कुछ पॉइंट रखना चाहता हूँ.

 

सिब्बल (अपनी याचिका के अंश पढ़ रहे हैं)- शिवसेना से अलग होने वाले विधायक अयोग्य हैं. उन्होंने किसी के साथ विलय भी नहीं किया.

 

सिब्बल- अब मैं राज्यपाल पर कुछ बिंदु रखना चाहता हूँ. सुप्रीम कोर्ट में केस लंबित रहते दूसरे गुट को आमंत्रित कर दिया. उसी तरह स्पीकर ने भी उन्हें वोट डालने का मौका दिया.

 

सिब्बल- इन सभी बिंदुओं पर कोर्ट को फैसला लेना है. कोर्ट विधानसभा से सभी रिकॉर्ड तलब कर ले और उन्हें देखे. यह देखे कि इस मामले में कब क्या कार्रवाई हुई? किस तरह से हुई?

 

सिब्बल- अयोग्य लोगों को इस तरह लंबे समय तक नहीं रहने देना चाहिए. जल्द सुनवाई हो.

 

सिंघवी- अलग होने वाला गुट गुवाहाटी चला गया. तब के डिप्टी स्पीकर को अज्ञात ईमेल से चिट्ठी भेजी कि हमें आप पर विश्वास नहीं. डिप्टी स्पीकर ने इसे खारिज कर दिया.

 

सिंघवी- जब उसे रिकॉर्ड पर ही नहीं लिया गया तो डिप्टी स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने के बम पर काम से कैसे रोका जा सकता था?

 

सिंघवी- इन विधायकों को वोट डालने का मौका नहीं मिलना चाहिए था.

 

शिंदे गुट की तरफ से हरीश साल्वे ने रखा पक्ष:

 

साल्वे- मैं तथाकथित पापियों की तरफ से पेश हुआ हूँ. क्या पार्टी में रहते हुए नेता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है? क्या यह नहीं बताया जा सकता है कि आपको बहुमत का समर्थन नहीं है?

 

साल्वे- एक राजनीतिक पार्टी को भी लोकतांत्रिक तरीके से चलना चाहिए.

 

CJI- हमारी कुछ शंकाएं हैं. मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि यह राजनीतिक मुद्दा है. लेकिन पार्टी में बंटवारे के बिना व्हिप जारी होने का क्या परिणाम होगा?

 

साल्वे- सदस्यता तभी जाती है जब कोई पार्टी छोड़ दे या व्हिप के खिलाफ वोट करे। लेकिन क्या जिसे 15-20 विधायकों का भी समर्थन न हो, उसे कोर्ट के ज़रिए वापास लाया जा सकता है?

 

CJI- यह अलग मसला है.

 

क्या है पूरा मामला?

 

महाराष्ट्र में शिवसेना ने याचिका दायर कर एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से क्या फैसला आता है, इसके बाद ही शिवसेना की लड़ाई में एक नया मोड़ आएगा. शिंदे गुट की दलील है कि उनके पास शिवसेना के दो तिहाई विधायक हैं और अब 12 सांसद भी उनके पाले में हैं. लिहाजा असली शिवसेना उनकी है. हालांकि शिंदे गुट की दलीलों को उद्धव ठाकरे गुट के नेता खारिज कर रहे हैं.

 

राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता

महाराष्ट्र (Maharashtra) में उससे पहले एकनाथ शिंदे बनाम उद्धव गुट की लड़ाई में नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट (SC) की सुनवाई के एक दिन पहले मंगलवार को उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा. लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल शेवाले (Rahul Shewale) को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दे दी. शिवसेना के 12 सांसदों ने कल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की थी और पार्टी का नेता बदलने का आग्रह किया था.

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