इस बड़े कांग्रेसी नेता की वजह से हुई शीला दीक्षित की मौत, संदीप दीक्षित का सनसनीखेज आरोप

अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी अध्यक्ष विहीन दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है । इस दौरान पार्टी में अंतर्कलह बेहद तीखी और व्यक्तिगत हो गई है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दिवंगत शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने दिल्ली कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको को कानूनी नोटिस भेजकर उन्हें अपनी मां की मौत का जिम्मेदार ठहराया है। संदीप ने चाको के मानसिक उत्पीड़न को उनकी मां के निधन की वजह बताया है ।

संदीप दीक्षित ने चाको को भेजे नोटिस में शीला दीक्षित को दिए गए मानसिक उत्पीड़न के लिए चाको को ज़िम्मेदार ठहराया है । उन्होंने मांग की है कि उनकी माँ को मानसिक उत्पीड़न के लिए चाको उनसे माफी मांगे या फिर कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। इतना ही नहीं शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने पीसी चाको के माफी नहीं मांगने की सूरत में चाको के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात कानूनी नोटिस में लिखी है।

शीला दीक्षित का अंतिम खत

गौरतलब है कि ढाई महीने पहले शीला दीक्षित की हार्ट अटैक की वजह से मृत्यु हुई थी । उनकी मौत के बाद से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे उनके कथित पत्र का जिक्र राजनीतिक गलियारों में होता आया है। हालांकि, शीला का लिखा गया वह कथित आखिरी पत्र अब तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। अपने पत्र में शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी से पार्टी के अंदर चल रही अंदरुनी गुटबाजी पर दुख जताते हुए परेशानी का सबब करार दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रभारी पीसी चाको किसी वरिष्ठ नेता के इशारे पर कांग्रेस को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं। संदीप दीक्षित शीला के आखिरी दिनों में उनके मानसिक तौर पर परेशान रहने की बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। संदीप दीक्षित ने शीला की मौत के बाद यह बयान भी दिया था कि पार्टी में कुछ लोग ओछी हरकतें कर रहे हैं, जिसका नुकसान भी हुआ।

चाको और दीक्षित का सार्वजानिक गतिरोध

गौरतलब है कि शीला दीक्षित ने मौत से पहले सभी ब्लॉक कमेटियों को भंग करने, तीनों कार्यकारी अध्यक्षों के कार्यभार में फेरबदल और सभी 280 ब्लॉक में आब्जर्वर नियुक्त करने का अहम फैसला लिया था। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर समीक्षा कमेटी की सिफारिश के आधार पर उन्होंने ये फैसला लिया था। शीला दीक्षित के इन अहम फैसलों को प्रभारी पीसी चाको ने अमल में लाने से इन्कार कर दिया था। शीला दीक्षित का फैसला पलटने के बाद चाको और उनके बीच गहरा गतिरोध सार्वजनिक हो गया था।

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