खाद्य तेल का आयात को लेकर प्रधानमंत्री नें बताई ये बात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य तेलों के आयात को कम करने पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि कई कृषि उत्पादों को दुनिया को निर्यात किया जा सकता है ।मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नीति आयोग की छठी प्रशासनिक परिषद की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि खाद्य तेलों के आयात पर लगभग 65,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जिसको लेकर किसानों के पास जाना चाहिए। इसी तरह कई कृषि उत्पाद हैं जिनकी आपूर्ति न केवल देश बल्कि दुनिया के लिए भी की जा सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि सभी राज्य अपनी कृषि-जलवायु क्षेत्रीय योजना रणनीति तैयार करें। उन्होंने कहा कि कृषि से लेकर पशुपालन और मत्स्य पालन तक पर समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया है। परिणामस्वरूप कोरोना काल में भी देश के कृषि निर्यात में काफी वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री ने कृषि-उत्पादों की बर्बादी को कम करने के लिए भंडारण और प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने मुनाफे को बढ़ाने के लिए कच्चे खाद्य पदार्थों की बजाय प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को निर्यात करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सुधार बहुत जरूरी हैं ताकि किसानों को आवश्यक आर्थिक संसाधन, बेहतर अवसंरचना और आधुनिक तकनीक प्राप्त करने में सुविधा हो।
उन्होंने कहा कि देश की प्रगति का आधार सहकारी संघवाद है और आज की बैठक इसे और अधिक सार्थक बनाने और प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद की ओर बढ़ने पर विचार-विमर्श करने के लिए है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब राज्य और केंद्र सरकारों ने एक साथ काम किया तो पूरे देश को सफलता मिली।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर गरीब को पक्का घर उपलब्ध कराने का अभियान भी चल रहा है। शहरों और गांवों को मिलाकर 2014 से अब तक दो करोड़ 40 लाख से अधिक घरों का निर्माण किया गया है। जल जीवन मिशन के शुरू होने के 18 महीनों के भीतर 3.5 लाख से अधिक ग्रामीण घरों में पाइप से पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। गांवों में इंटरनेट सुविधा के लिए भारत नेट योजना एक बड़े बदलाव का माध्यम बन रही है। केंद्र और राज्य सरकारें जब ऐसी सभी योजनाओं में एक साथ काम करेंगी तो काम की गति बढ़ेगी और लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा।

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