गोरखपुर : लाकडाउन-3.0 में गुजरात के सूरत से गोरखपुर पहुंची चौथी ट्रेन, 1191 यात्रियों को बसों से भेजा गया घर

गोरखपुर: लॉकडाउन-3.0 में गुजरात के सूरत से चौथी ट्रेन आज गोरखपुर पहुंची. ट्रेन से 1191 यात्री यहां पर आए. सोशल डिस्टेंशन का ध्यान रखते हुए थर्मल स्क्रीनिंग और मेडिकल फिटनेस की जांच हुई. इसके बाद अलग-अलग जिलों के यात्रियों को बसों के माध्यम से उनके घर भिजवाने की व्यवस्था की गई. इस दौरान उन्हें खाने के लिए लंच पैकेट और बिस्किट, फल और पानी भी उपलब्ध कराया गया.

गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर गुजरात के सूरत से श्रमिक स्पेशल ट्रेन शाम 4:30 बजे गोरखपुर पहुंची. यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ यात्रियों का थर्मल स्क्रीन किया गया. इसके बाद उनकी मेडिकल फिटनेस की जांच करने के बाद उनका नाम पता और मोबाइल नंबर भी नोट किया गया. इसके बाद उन्हें अलग-अलग बसों के माध्यम से उनके जिले भेजने की व्यवस्था की गई.

एडीएम सिटी आर के श्रीवास्तव ने बताया कि प्रेम की हर बोगी में 50 50 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था रही है. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके. उन्होंने बताया कि ट्रेन गुजरात के सूरत से यहां पहुंची है और उसमें 1191 यात्री सवार रहे हैं.

आरके श्रीवास्तव ने बताया कि देश के अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है. गोरखपुर में चौथी ट्रेन आज यहां पर पहुंची है. लॉकडाउन-3.0 में गुजरात में फंसे मजदूरों को यहां लाने की व्यवस्था इस ट्रेन के माध्यम से की गई है.

उन्होंने बताया कि लगातार ट्रेनें अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों को लेकर गोरखपुर पहुंच रही है. इन सभी का थर्मल स्क्रीनिंग किया जा रहा है. इसके साथ ही उनके खाने-पीने और अन्य जरूरत की चीजों की व्यवस्था भी की जा रही है. उन्हें लंच पैकेट के साथ बिस्किट और पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे रास्ते में उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.

कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन होने के बाद से हजारों की संख्या में मजदूर अन्य राज्य में फंसे हुए हैं. ऐसे में मजदूरों को उनके घर वापस भेजने के लिए सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई है. यह ट्रेनें मजदूरों को लेकर उनके राज्य तक पहुंच रही है. वहां से उन्हें बसों के माध्यम से उनके जिले तक भिजवाया जा रहा है. श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने से मजदूरों के मुश्किलें काफी कम हो गई हैं.

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