31 जनवरी को “इतिहास के आईने में आजमगढ़”, जानिए क्या है आईपीएस के किताब की कहानी

आजमगढ़, यह नाम जब हमारे जुबान पर आता है या फिर हमारे कानों में सुनाई देता है। तब हमारे दिमाग में सिर्फ एक छवि जो पहले उभर कर आती है, वह है अबू सलेम और दाउद इब्राहिम।

लेकिन आजमगढ़ को मात्र इन नामों से याद रखना उसका अपमान होगा। काशी का इतिहास बड़े बरगद के पेड़ की तरह समृद्ध और गौरवशाली रहा है।

आजमगढ़ भले ही काशी के छांव में बसा हुआ है। उसका इतिहास गौरवशाली तथा मजबूत है।

‘इतिहास के आइने में आजमगढ़’ पुस्तक में जिले के इतिहास को नए ढंग से परोसा गया है। किताब में इतिहास को साहित्यिक कलेवर में ऐसे बुना गया है कि किताब शोध छात्रों के साथ आम पाठकों के लिए भी अत्यंत ज्ञानवर्धक, रोचक और पठनीय है।

स्थानीय इतिहास लेखन के क्रम में यह एक नवीन और सार्थक प्रयास है। इतिहास प्रेमियों के लिए इतिहास के आइने में आजमगढ़ संग्रहणीय पुस्तक है। आईपीएस प्रताप गोपेन्द्र की किताब का विमोचन 21वें आजमगढ़ पुस्तक मेले में 31 जनवरी को किया जाना है।

आपको बता देें कि लेखक प्रताप गोपेंद्र यादव उत्तर प्रदेश संवर्ग के 2012 बैच के आई.पी. एस. अधिकारी हैं। पूर्व में अपने गाँव पर फत्तनपुर- मेरा गाँव मेरे लोग’ नाम से पुस्तक प्रकाशित करा चुके हैं।

जिस सरल एवं बेजोड़ पोलिसिंग के लिए प्रताप गोपेन्द्र जाने जाते हैं वे उतने ही सहदयी सरल लेखक भी हैं।

बतौर चित्रकूट एसपी की पोस्टिंग के दौरान उन्होंने वहां के कई ऐतिहासिक स्थलों के इतिहास और अनसुलझे पहलुओं के विषय पर लिखा है जिससे वहां के पर्यटन को अत्यंत लाभ हो रहा है।

दरअसल प्रताप गोपेन्द्र जनोन्मुख साहित्य के अध्ययन तथा सूजन में विशेष रुचि रखते हैं। आइपीएस प्रताप गोपेन्द्र ने बताया कि वे कई अन्य पुस्तकों पर भी कार्य कर रहे है और जल्द ही वो पाठकों के बीच होगी।

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