Newsnasha Conclave में पद्मश्री संतोष यादव ने उत्तराखंड के बारे में बताई ये खास बातें!

पद्मश्री संतोष यादव प्रकृति के काफी करीब है और समय समय पर अपना योगदान देती रहती है न्यूज़ नशा के कॉन्क्लेव ' शिखर पर उत्तराखंड ' में संतोष यादव ने

संतोष यादव भारत की एक पर्वतारोही हैं। उन्होने दो बार माउंट एवरेस्ट पर जीत पाकर विश्व रिकार्ड बनाया है। लेकिन उन्होंने बचपन में यह कभी नहीं सोचा था कि वह पर्वतारोहण करेंगी और विश्वविख्यात हो जाएंगी। वह पहली और एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिन्होंने दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है। उनकी इसी उपलब्धि के लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया है।

 

  • पद्मश्री संतोष यादव प्रकृति के काफी करीब है और समय समय पर अपना योगदान देती रहती है न्यूज़ नशा के कॉन्क्लेव ‘ शिखर पर उत्तराखंड ‘ में संतोष यादव ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से टूरिस्टों द्वारा प्रदेश की प्रकृति को बचाने पर सुझाव दिए !

 

कुछ ऐसा था पद्मश्री संतोष यादव का सफर!

 

रेवाड़ी जिले में है जौनीवास गांव। इस छोटे से गांव की रहनी वाली हैं संतोष यादव। झलना डुंगरी गांव में छात्रों के ऊंचाई पर चढ़ते देख उनके भी बाल मन में ऐसे जोखिम भरे कार्य करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई थी। वे कहती हैं कि इस जिज्ञासा के कारण ही एवरेस्ट पर जाने में कामयाब हो सकी। इसके लिए वे अनुशासित जीवन शैली, कड़ी मेहनत व संस्कार को सफलता का श्रेय देती हैं।

पहली बार मई 1992 में एवरेस्ट पर पहुंची। इसके बाद मई 1993 में एक बार फिर एवरेस्ट की ऊंचाइयों तक पहुंची। यह कारनामा कर दिखाने वाली वे विश्व की पहली महिला हैं। इनकी इस उपलब्धि पर भारत सरकार की ओर से 2000 में पदमश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।

 

संस्कार के बिना सफलता नहीं है

 

कोई 24 कैरेट सोने की तरह काबिल हो, लक्ष्य पाने का जुनून हो, लेकिन अगर उसमें संस्कार नहीं है तो वह सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। सफल होना है तो संस्कारवान होना पड़ेगा। अपने माता-पिता का आदर करना होगा। बुजुर्गों के आशीर्वाद और भारतीय संस्कृति व संस्कार को अपनाते हुए आगे बढऩा होगा। तभी सफलता आपके कदम चूमेगी। आज के बच्चों में संस्कार का बिखराव दिख रहा है। लक्ष्य स्पष्ट नहीं है। ऐसा इसलिए कि संस्कार कहीं-कहीं दूर होता जा रहा है। यह चिंता की बात है।

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