‘सिन्धुवीर’ से म्यांमार ने किया ‘मंडोला’ अभ्यास

नई दिल्ली​​।​ ​पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य टकराव के बीच एक बड़ी चाल में भारत ने क्षेत्र में चीन के रणनीतिक अतिक्रमण का मुकाबला करने के लिए अपनी डीजल-इलेक्ट्रिक ​पनडुब्बी ​आईएनएस​ ‘सिन्धुवीर’​ म्यांमार को सौंप ​दी है।​ ​​​भारत से मिली ​3,000 टन की​ पनडुब्बी ‘सिन्धुवीर’ को म्यांमार ने अपने नौसेना के बेड़े में शामिल करके अभ्यास ‘बंडोला’ शुरू कर दिया है।​
​​भारत ने इस साल मार्च-अप्रैल ​में पड़ोसी मित्र देश म्यांमार के नौसैनिकों को ​पानी के ​अन्दर की लड़ाई में ​​प्रशिक्षित करने के लिए ​आईएनएस ‘सिंधुवीर​’​ ​देने की मंजूरी दे दी थी। ​​​​​विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को आधिकारिक रूप से आईएनएस सिंधुवीर को म्यांमार पहुंचाने के फैसले की घोषणा की। ​गुरुवार को ही म्यांमार नौसेना के कमांडर-इन-चीफ वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लांग ने ​इस पनडुब्बी का निरीक्षण किया था।​ ​​​यह घोषणा भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद ​​नरवणे​ और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की म्यांमार यात्रा के ठीक 2 सप्ताह बाद ​की गई है।​

इस यात्रा के दौरान ​यह ​भी ​घोषणा की गई थी कि भारत म्यांमार के चिन राज्य में ब्येनु​/​सरिसचौक में सीमा हाट पुल के निर्माण के लिए 2 मिलियन​ डॉलर का अनुदान ​देगा जिससे मिजोरम और म्यांमार के बीच आर्थिक संपर्क ​बढ़ेगा​।​ ​​​इस यात्रा के दौरान भारत ​के सहयोग से बंगाल की खाड़ी में ​​म्यांमार के राखाइन राज्य ​की राजधानी ​​​​सिटवे​​ ​में बन रहे ​पोर्ट का ​निरीक्षण किया जो अगले साल की पहली तिमाही में चालू हो जाएगा।​ यह ​कलादान मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट​ भारत और म्यांमार के बीच वृहद कनेक्टिविटी परियोजना का एक हिस्सा​ है जो क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि को बढ़ाएगा।​​​
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​रूसी मूल की ​यह ​पनडुब्बी 31 साल पुरानी है लेकिन पिछले साल विशाखापत्तनम में ​हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में ​इसका ​​आधुनिकीकरण किया गया​ है​।​ ​​एक किलो वर्ग पनडुब्बी में 3,000 टन का विस्थापन, 74 मीटर की लंबाई और 10 मीटर की एक बीम है। यह 15 अधिकारियों और 60 नाविकों के चालक दल द्वारा संचालित है और हथियारों और सेंसर की एक सरणी से सुसज्जित है जो पनडुब्बी को विभिन्न बेड़े, सामरिक और थिएटर स्तर के अभ्यास में भाग लेने में सक्षम बनाता है।​ ​यह म्यांमार नौसेना की पहली ​​ ​’​पूरी तरह से चालू​’​ ​पनडुब्बी होगी​ क्योंकि अभी तक इसके पास कोई और​ ​​पनडुब्बी ​नहीं थी। ​​​किलो वर्ग की पनडुब्बियां भारतीय, चीनी, रूसी और ईरानी नौसेना बलों द्वारा संचालित की जाती हैं और इन्हें रुबिन सेंट्रल मैरीटाइम डिज़ाइन ब्यूरो, सेंट पीटर्सबर्ग ​ने डिज़ाइन किया ​है।​​

​भारत ने पहले ​भी म्यांमार को कई प्रकार के सैन्य हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आपूर्ति की है, ​जिसमें द्वीप के समुद्रीगश्ती विमान, नौसैनिक बंदूक-नावों, हल्के वजन वाले टारपीडो और राडार से 105 मिमी प्रकाश तोपखाने, मोर्टार, नाइट-विज़न डिवाइस, ग्रेनेड-लॉन्चर और राइफल्स​ शामिल हैं। ​​भारत ​समुद्री क्षेत्र में म्यांमार के साथ विविध और संवर्धित जुड़ाव का एक हिस्सा ​मानता ​है।​ पड़ोसी​ मित्र देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग के हिस्से के रूप में​ भारत इससे पहले ​2016 में बांग्लादेश को मिंग श्रेणी ​की दो डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की आपूर्ति कर​ चुका है। ​इसके बाद ​2023 में युआन-श्रेणी की ​एक ​पनडुब्बी थाईलैंड ​को दिए जाने की योजना है। ​

सरकार के सूत्रों​ का कहना है कि यह विदेशी सहयोग के निर्माण और समेकन की दिशा में एक बड़ा कदम है।यह हमारे सभी क्षेत्रों में क्षमता और आत्मनिर्भरता के निर्माण की प्रतिबद्धता के साथ-साथ एसएजीएआर​-सुरक्षा और सभी क्षेत्रों के लिए हमारी दृष्टि के अनुसार है।​ दोनों नौसेनाओं ​के घनिष्ठ सहयोग ​के चलते भारत म्यांमार नौसेना कर्मियों को प्रशिक्षित कर रहा है। ​इसी के तहत ​पिछले साल भारतीय और म्यांमार ​की ​नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में संयुक्त अभ्यास किए​ थे​। ​

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