सड़क-2 : बाबूजी धीरे चलना, बड़े गड्ढे है इस राह में !

– ए एम कुणाल

दो दशक के बाद निर्देशन की कमान संभालने वाले महेश भट्ट की फ़िल्म सड़क 2 डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। भट्ट साहब के फ़ैन्स के लिए यह फ़िल्म इसलिए भी खास है, क्योंकि वे 21 साल बाद किसी फ़िल्म का निर्देशन कर रहे हैं। भट्ट साहब की आखिरी फ़िल्म “कारतूस” थी, जिसके हीरो भी संजय दत्त थे। उसके बाद सबको उम्मीद थी कि निर्देशन छोड़ चुके भट्ट साहब अपनी बेटी को खुद लॉंच करेंगे पर अभिनेत्री आलिया भट्ट ने करण जौहर की फ़िल्म “स्टूडेंट ऑफ द ईयर” से अपना करियर शुरु किया। अपने पापा के साथ काम करने के लिए आलिया को आठ साल का इंतज़ार करना पड़ा।

90 के दशक की “सड़क” फिल्म महारानी का किरदार निभाने वाले अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर के लिए ज्यादा जानी जाती है, इसलिए जब उसके सीक्वल की घोषणा हुई, तो सबका एक ही सवाल था कि महारानी कौन होगा? फिल्म सड़क में पूजा भट्ट और संजय दत्त के किरदार का नाम दर्शकों को शायद ही याद होगा पर आज भी सदाशिव अमरापुरकर उर्फ “महारानी” सबको याद हैं। सड़क की सीक्वल में मकरंद देशपांडे और भट्ट साहब के लिए सदाशिव अमरापुरकर एक चुनौती थे, जिसमें दोनों फ़ेल ही गए हैँ। महारानी का किरदार गढ़ने के चक्कर में फ़िल्म ज़्यादा डार्क हो गई है। हालाँकि पूजा भट्ट का वॉइस ओवर और अभिनेता आदित्य रॉय कपूर का रोमांटिक किरदार फ़िल्म को अंधेरे से निकालने की कोशिश करता है पर इस फ़िल्म में प्यार और रोमांस उतना ही कम है, जितना कि आदित्य रॉय कपूर का रोल।

सड़क 2 की कहानी आर्या (आलिया भट्ट) से शुरू होती है, जो पाखंडी बाबाओं के ख़िलाफ़ मुहिम चलाती है। वह अपनी माँ की मौत के लिए पाखंडी धर्म गुरु ज्ञान प्रकाश (मकरंद देशपांडे) को दोषी मानती है। उस पाखंडी बाबा के भक्त आर्या के पिता योगेश देसाई (जीशु सेनगुप्ता) और सौतेली माँ नंदनी (प्रियंका बोस) भी होते हैं। वे लोग एक साज़िश के तहत आर्या को मानसिक बीमारी का शिकार बना कर पागलखाना में भर्ती करा देते हैं। जहाँ से वह भागकर रवि किशोर (संजय दत्त) के पास जाती है, जो एक ट्रैवल एजेंसी चलाता है। आर्या बताती है कि उसने तीन महीने पहले कैलाश पर्वत जाने के लिए कार बुक की थी । दरअसल वह रवि की पत्नी पूजा (पूजा भट्ट) की लास्ट बुकिंग थी , इसलिए वह अपनी पत्नी के वायदे को निभाने के लिए तैयार हो जाता है। इसके साथ ही एक बार फिर सड़क की यात्रा शुरू हो जाती है। पूजा के मौत के ग़म में पल-पल मर रहे रवि की जिंदगी में आर्या की एंट्री हो जाने उसे जीने का एक मक़सद मिल जाता है। फ्लैश बैक में विशाल (आदित्य रॉय कपूर) की कहानी आती है। विशाल पाखंडी धर्म गुरुओं की पोल खोलने में आर्या का साथ देता है, जिसके कारण उसे जेल जाना पड़ता है। धर्म गुरु ज्ञान प्रकाश काफी पावरफुल होता है। नेता, पुलिस, बिजनेसमैन से लेकर गुंडे तक उसके शिष्य होते हैँ। दिलीप हाथकटा (गुलशन ग्रोवर) और पुलिस ऑफिसर राजेश पुरी (मोहन कपूर) बाबा के कहने पर आर्या के पीछे पड़ जाते हैँ। आर्या का पिता योगेश देसाई भी बाबा की बातों में आ जाता है। वे लोग विशाल उर्फ मुन्ना (आदित्य रॉय कपूर) को आर्या के पीछे लगा देते हैँ, जिससे आर्या प्यार करने लगती है। अंत में आर्या के जीवन में विलन बनकर इंट्री करने वाला विशाल हीरो बन जाता हैँ । रवि एक मसीहा बनकर सामने आता है, जो न सिर्फ आर्या की जान बचाता है, बल्कि हर मुसीबत में उसके साथ खड़ा होता है। अंत में बाबा ज्ञान प्रकाश की पाप की लंका का दहन कैसे होता है, ये देखने वाली बात है।

इस फ़िल्म में आज की पूजा भट्ट नहीं है। केवल पूजा का वॉइस ओवर है। नब्बे की पूजा भट्ट को संजय दत्त की यादों में दिखाया गया है। संजय दत्त का काम काफी अच्छा है। उनका भावुक और एक्शन सीन लाजवाब है। सड़क 1 का युवा रवि इस फिल्म में बुड्ढे रवि किशोर के किरदार में है पर अंदाज पुराना है। पुरी फिल्म में आलिया भट्ट छाई रहती है पर अंत में संजू बाबा बाजी मार जाते है।

इस फिल्म की कहानी को आलिया भट्ट को ध्यान में रख कर लिखा गया है। अपनी फिल्मी करियर के आठ साल बाद आलिया को भट्ट कैम्प में काम करने का मौका मिला है, वह भी अपने पिता महेश भट्ट के निर्देशन में, जो कि आलिया का एक सपना था। आज आलिया उस मुकाम को हासिल कर चुकी है, जहां से एक-दो फिल्म की असफलता से उन्हे कोई खास फ़र्क नहीं पड़ने वाला है।

इस फिल्म को देख कर लगता है कि आदित्य रॉय कपूर के किरदार को लिखते समय स्याही कम पड़ गया था। फिल्म मलंग के एंग्री यंग मैन के लिए सड़क-2 में कुछ खास करने को नहीं है।

जीशु सेनगुप्ता का रोल काफी प्रभावशाली है। वे अपनी ऐक्टिंग से गुलशन ग्रोवर और मकरंद देशपांडे पर भी भारी पड़े है। हालांकि महारानी की भूमिका में मकरंद देशपांडे है पर जीशु सेनगुप्ता उन्हे भी ओवर टेक कर लेते है। भट्ट कैम्प की फिल्मों में अभिनेता गुलशन ग्रोवर का हमेशा स्पेशल गेटअप होता हैँ। इस फिल्म में उनके दिलीप हाथकट्टा का किरदार को खास बनाने की कोशिश की गई है पर अपनी एंट्री के बाद वह अपना प्रभाव खो देते है। जीशु सेनगुप्ता के बाद अगर किसी ने अच्छा काम किया है तो वह है प्रियंका बोस। प्रियंका बोस छोटे से रोल में भी अपना छाप छोड़ने में सफल रही है।

ये महज संजोग है कि प्रकाश झा का वेब सीरीज “आश्रम” भी एक बाबा पर बेस्ड है, जिसमें बॉबी देओल बाबा बने है और सड़क-2 में मकरंद देशपांडे बाबा के किरदार प्ले कर रहे है। इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी मकरंद देशपांडे है। सबसे ज्यादा जिससे उम्मीद थी, उसी कलाकार ने निराश किया है। मकरंद देशपांडे का किरदार महारानी के आस-पास भी नहीं है। उनकी तुलना सदाशिव अमरापुरकर से न की जाए तो ही बेहतर है।

21 साल बाद निर्देशन का कमान संभाल रहे महेश भट्ट का काम देखकर लगता है कि उन्हे नेट प्रेक्टिकस की जरुरत है। सड़क-2 को नेट प्रेक्टिकस के तौर पर ही देखा जाना चाहिए। भट्ट साहब में अभी बहुत दम है। भट्ट साहब का भगवान कृष्ण की तरह युद्ध न करने की प्रतिज्ञा के कारण उनके फैनस ने भारी कीमत चुकाई है। अब उन्होंने प्रतिज्ञा तोड़ दी है, तो उम्मीद करते है कि फिल्म ”नाम” का सीक्वल भी जल्द देखने को मिलें।

फिल्म की कहानी महेश भट्ट और सुहरिता सेनगुप्ता ने लिखी है, जो सड़क का सीक्वल कही से नज़र नहीं आती है। फिल्म के संवाद में भी कोई दम नहीं है। न तो संजय दत्त के किरदार को सूट करता है, न मकरंद देशपांडे के लिए ऐसा कोई लाइन है, जिसे याद रखा जा सकें। फिल्म के गाने भट्ट कैम्प की जान होती है पर उसमें भी चीनी कम है।

फ़िल्म: सड़क-2
स्टार कास्ट: संजय दत्त, आलिया भट्ट, आदित्य रॉय कपूर, जीशु सेनगुप्ता, प्रियंका बोस, गुलशन ग्रोवर और मकरंद देशपांडे ।
डायरेक्टर : महेश भट्ट
निर्माता : मुकेश भट्ट
ओटीटी : डिज्नी प्लस हॉटस्टार

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