मंदी से बचने के लिए मोदी सरकार बेच देगी इन पांच कंपनियों को, जानिए कौनसी कंपनियां हैं?

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रही मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। आर्थिक मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी की बैठक में सरकार ने पांच सरकारी कंपनियों को पूरी तरह बेचने का फैसला किया है। मोदी सरकार के इस फैसले पर आज संसद में हंगामा होने के आसार हैं। विपक्षी सरकार के इस कदम पर सवाल उठा सकते हैं।

जिन पांच कंपनियों को बेचे जाने का फैसला हुआ है उनमें भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड का नाम सबसे अहम है। सरकार की महा नवरत्न कंपनियों में से एक बीपीसीएल तेल के क्षेत्र में काम करने वाली एक अहम सरकारी कंपनी है। मोदी सरकार ने इस कंपनी में अपनी बाकी बची 53.29 फ़ीसदी हिस्सेदारी को पूरी तरह बेचने का फैसला किया है। इसके साथ ही कंपनी का प्रबंधन और मालिकाना हक भी सरकार के नियंत्रण से बाहर होकर इसे खरीदने वाली निजी कंपनी के हाथों में चला जाएगा। हालांकि असम के नुमालीगढ़ में स्थित कंपनी के रिफाइनरी को नहीं बेचा जाएगा। इस रिफाइनरी को किसी अन्य सरकारी कम्पनी को सौंप दिया जाएगा। कम्पनी को बेचने के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

इसके अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार अपनी बाकी बची 63.75 फ़ीसदी हिस्सेदारी भी बेचने जा रही है। इस कंपनी का भी प्रबंधन निजी हाथों को सौंप दिया जाएगा। सरकार ने रेलवे से जुड़ी कंपनी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का भी मालिकाना हक और प्रबंधन निजी हाथों के नियंत्रण में देने का फैसला किया है। हालांकि सरकार इस कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी नहीं बेचेगी और 24 फ़ीसदी हिस्सेदारी अपने पास ही रखेगी।

हालांकि इन पांच कंपनियों में से 2 कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें सरकार की ही एक बड़ी कंपनी एनटीपीसी खरीदेगी। ये दोनों कंपनियां बिजली उत्पादन के क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं। जिन दो कंपनियों को एनटीपीसी खरीदेगी उनमें टिहरी हाइडल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और नॉर्थ ईस्टर्न पावर कॉरपोरेशन शामिल हैं। सरकार को उम्मीद है कि इन पांचों कंपनियों को अगले साल मार्च के अंत तक बेचने का काम पूरा कर लिया जाएगा। यह अब तक साफ नहीं है कि इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा ?

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