बिहार में लोजपा 143 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी

पटना। लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय बोर्ड ने रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। लोजपा संसदीय बोर्ड की रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी ने अब अकेले ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का बड़ा फैसला लिया है। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के ऊपर सबकी निगाहें टिकी थीं , जिन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व को नकार दिया । साथ ही मणिपुर की तर्ज पर चुनाव के बाद भाजपा को समर्थन देने का फैसला भी बोर्ड की बैठक में लिया गया है।

लोक जनशक्ति पार्टी केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में सभी सदस्यों की मौजूदगी में यह बड़ा निर्णय लिया गया है। लोजपा के सूत्र बताते हैं कि कोरोना और ऑपरेशन के कारण सांसद पशुपति कुमार पारस और कैसर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस अहम बैठक से जुड़े थे। इस मीटिंग में लोजपा नेताओं ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने का अपना फ़ैसला सुनाया। सूत्र बताते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोजपा-भाजपा सरकार का प्रस्ताव इस बैठक में पारित किया गया है। यानी चुनाव के बाद लोजपा के सभी विधायक भाजपा को समर्थन देंगे। लोजपा के सभी विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को और अधिक मज़बूती प्रदान करेंगे। दरअसल, एक साल से बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट के माध्यम से उठाए गए मुद्दों से लोजपा पीछे हटने को तैयार नहीं है।

भाजपा और जदयू के बीच सहमति बनने के बाद अब हर किसी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि रविवार की बैठक के बाद चिराग पासवान आखिरकार कौन सा बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं। हालांकि जिस तरीके से चिराग पासवान और उनकी पार्टी लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली पर सवाल उठाती रही है, उससे ऐसा माना जा रहा था कि चिराग किसी भी हाल में जदयू के साथ चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि चिराग पासवान बिहार विधानसभा की कुल 143 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे, जिसका एलान वह पहले कर चुके हैं। उधर, दूसरी ओर, सीटों के बंटवारे पर आखिरकार जदयू और भाजपा के बीच सीटों के बंटवारे पर बात बन गयी है। दोनों पार्टियों के बीच आधी-आधी सीटों के बंटवारे पर सहमति बनी है। भाजपा से ज्यादा सीट लेने पर अड़े नीतीश कुमार को आखिरकार अपनी जिद छोड़नी पड़ी है। सूत्रों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के लिए एनडीए में पांच सीटें छोड़ी गयी हैं। बाकी सीटों पर जदयू-भाजपा के बीच आधा-आधा बंटवारा होगा। यानी भाजपा को 122 तथा जदयू को 121 सीटें अब मिल सकती हैं।

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