उत्तराखंड में आज मनाई जा रही है दिवाली जानिए क्यों

पुरे देश में दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। लेकिन आपको यह सुन कर हैरानी होगी की उत्तराखंड में दीपावली के ठीक 11 दिन बाद दीपावली मनाई जाती है। दरअसल ज्योति पर्व दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा तक पहुंचता है, इसलिए पर्वों की इस शृंखला को ईगास-बग्वाल का नाम दिया गया है। इस मौके पर विभिन्न संस्थाओं की ओर से सांस्कृति कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

भैलो खेल कर मनाया जाता है त्यौहार

आज के दिन लोग घरो में लक्ष्मी पूजन के साथ गायों की पूजा करते है। इस पर्व की खास बात यह है कि आतिशबाजी करने के बजाय लोग रात के समय पारंपरिक भैलो खेलते हैं। पहाड़ में बग्वाल (दीपावली) के ठीक 11 दिन बाद इगास मनाने की परंपरा है। आज के दिन मवेशियों के लिए भात, झंगोरा का पींडू (पौष्टिक आहार) तैयार किया जाता है। फिर उनका तिलक लगाकर फूलों की माला पहनाई जाती है। इसके बाद उन्हें ये आहार खिलाया जाता है।

यह है मान्यता

इस पूजा को लेकर कई लोकमान्यताएं हैं उनमे से एक मान्यता के मुताबिक बताया जाता है की गढ़वाल में भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना 11 दिन बाद मिली थी। इसलिए यहां पर ग्यारह दिन बाद दीवाली मनाई जाती है। वही दूसरी मान्यता यह है की दिवाली के वक्त गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट, तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी और दिवाली के ठीक ग्यारहवें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी। युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली मनाई गई थी।

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