जानिए क्या है TRP, कौन रखता है News channels पर नज़र ?

TRP तेजी से ट्रेंड कर रहा है जिसे देखो हर कोई खबर बनाने वालो कि खबर पर नजर बनाये हुए है आखिरकार क्या है ये टीआरपी ? जिसके लिए आजकल न्यूज़ चैनल्स कुछ भी कर रहे हैं… लेकिन क्या आपको पता है कैसे होती है TRP की गिनती ? नहीं ? तो आज हम आपको बताएंगे की आखिर ये TRP क्या होती है जिसके लिए टीवी चैनल्स आजकल कुछ भी कर रहे हैं … साथ ही बताएँगे कि देश के हर नेता अभिनेता या विवाद पर चेक रखने वाले इन चैनल्स पर कौन चेक रखता है ?

पहले बताते है TRP क्या है

टीआरपी से मतलब है टेलीविजन रेटिंग पॉइंट… एक ऐसा डिवाइस जिसके ज़रिए ये पता लगाया जाता है कि कौन सा प्रोग्राम या टीवी चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. साथ ही इसके जरिए किसी भी प्रोग्राम या चैनल की पॉपुलैरिटी को समझने में भी बहुत हेल्प मिलती है यानी लोग किसी चैनल या प्रोग्राम को कितनी बार और कितने समय के लिए देख रहे है ये पता लगाया जा सकता है… प्रोग्राम की टीआरपी सबसे ज्यादा होना मतलब सबसे ज्यादा दर्शक उस प्रोग्राम को देख रहे हैं…

टीआरपी, advertisors और इन्वेस्टर्स के लिए बहुत important होता है क्योंकि इसी से उन्हें जनता के रुझान का पता चलता है…. एक advertisor TRP को देखकर ही किसी चैनल को Advertisement देता है…

अब आपको ये तो पता लग गया है की ये TRP क्या होती है लेकिन अब आपके लिए ये जानना ज़रूरी है की आखिर ये टीआरपी की गिनती कैसे होती है। जिससे ये पता लगाया जा सके की कौनसा शो तय कौनसे चैनल को दर्शक ज्यादा देख रहे हैं…..

पहले TAM यानी Television Audience Measurement (TAM) टीवी रेटिंग देती थी अब BARC यानि Broadcast Audience Research Council
ये रेटिंग देती है दोनों में फर्क बस इतना है कि tam शेहरो पर ज्यादा मीटर लगाती थी और barc गावो में भी लगाती है …. दरअसल टीआरपी को मापने के लिए कुछ जगहों पर पीपलस मीटर लगाए जाते हैं… यानी कुछ हजार दर्शकों का एक सर्वे किया जाता है और इन्हीं दर्शकों के आधार पर सारे दर्शक मान लिया जाता है जो TV देख रहे होते हैं. अब ये पीपलस मीटर Specific Frequency से ये पता लगाता है कि कौन सा प्रोग्राम या चैनल कितनी बार देखा जा रहा है….

इस मीटर के द्वारा एक-एक मिनट की टीवी की जानकारी को Monitoring Team INTAM यानी Indian Television Audience Measurement तक पहुंचा दिया जाता है. ये टीम पीपलस मीटर से मिली जानकारी का विश्लेषण करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की टीआरपी कितनी है. इसको गिनने के लिए एक दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है और फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है.
अब सबसे ख़ास बात 135 करोड़ कि जनसँख्या में 40 हजार मीटर के आधार पर चैनल कि रेटिंग होती है मतलब केवल 40 हजार लोग तय करते हैं कौन है देश का नुम्बर चेंनेल … जाहिर है अगर रेटिंग कि संख्या हजारो में होगी तोmanuplation करना आसान होगा लेकिन इसी दायरे को करोड़ो में कर दिया जाए तो गड़बड़ करना इतने बड़ेस्तर पर मुश्किल होगा ..

किसी भी प्रोग्राम की टीआरपी के ज्यादा या कम होने का सीधा असर उस टीवी चैनल की इनकम पर पड़ता है जिसमें वो प्रोग्राम आ रहा होता है. ये बात तो बहुत से लोग जानते हैं की ये जो tv चैनल्स होते हैं वो इन advertisement से ही पैसा कमाते हैं… अगर किसी प्रोग्राम या चैनल की टीआरपी कम है तो इसका मतलब है कि लोग उसे कम देख रहे हैं. ऐसे में उसे कम advertisements और कम पैसे मिलेंगे. लेकिन अगर किसी चैनल या प्रोग्राम का टीआरपी ज्यादा है तो उसे ढेर सारी ads और पैसे भी अच्छे मिलते हैं…

ये advertisment वाले भी तो उसी को ज्यादा मुनाफा देंगे जो tv चैनल ज्यादा लोग देखते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी advertisement को देख सकें… और ये भी सच है की जो TRP होती है वो एक चैनल के साथ साथ एक प्रोग्राम पर भी निर्भर करती है… फिर उस प्रोग्राम के बीच में जो ad मिलती है उससे चैनल को ज्यादा मुनाफा मिलता है

तो अब आप समझ गए होंगे कि टीआरपी का मतलब क्या होता है, जिससे किसी भी प्रोग्राम या चैनल की लोकप्रियता और व्यूअर्स के बारे में पताया लगाया जा सकता है… लेकिन आज जो हम न्यूज़ चैनल्स पर ये टीआरपी की लड़ाई देख रहे हैं दरअसल इन सब से हटकर आज भी कई ऐसे चैनल्स है जो बहुत ही सीधे साधे तरीके से और सारे नियमो के साथ

अब बताते हैं कि कौन रखता टीवी चैनल्स पर नजर और क्यूँ आजकल वो दिख नहीं रहा। दरअसल NBA यानी न्यूज़ ब्रोडकास्टर एसोसिएशन को 3 जुलाई 2007 में इसलिए बनाया गया कि कोई भी चेंनल अपने दायरों से बहार न जाये … अगर कोई ऐसा करता है तो nba उस का बहिष्कार कर सकती है nba में सभी चैनल के हेड मेम्बर होते हैं उन्ही में से एक chairmen भी होता है इस वक़्त रजत शर्मा इसके chairmen हैं … लेकिन अफ़सोस कि वो जो भी पिछले कुछ वक़्त से बोल रहे हैं उन्हें कोई सुन नहीं रहा है . न ही संस्था से किसी पर कोई अंकुश है … ये एक प्राइवेट संस्था है जिसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है . अब सवाल ये हैं कि तमाम न्यूज़ हेड इन दिनों ट्विटर पर तो एक्टिव हैं लेकिन nba में मौन हैं।

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