केरल बनेगा कोरोना की तीसरी लहर का केंद्र! आंकड़े दे रहे हैं डरावने संकेत

तिरुवनंतपुरम. कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) रोकने के लिए केरल की रणनीतियों की काफी तारीफ हुई थी, लेकिन लगातार बढ़ रहे संक्रमण के मामले अब बिगड़ते हालात की गवाही दे रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की तरफ से किए गए सीरोसर्वे में भी पता चला है कि केरल में सबसे कम 44.4 फीसदी एंटीबॉडीज हैं. यह सर्वे 14 जून और 6 जुलाई के बीच किया गया था. दक्षिण केरल में तेजी से बढ़ रहे मामलों ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. उम्र से लेकर बीमारियों और रेपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) पर भरोसा जैसे कई कारण राज्य की स्थिति के जिम्मेदार बताए जा रहे हैं.

पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए, तो तमिलनाडु में 6 जून को 20 हजार 421 मामले मिले थे. यह आखिरी बार था, जब देश के किसी राज्य में एक दिन में 20 हजार से ज्यादा मामले आए थे. तमिलनाडु में बीते मंगलवार को 1767 नए मरीज मिले हैं. अप्रैल-मई में बढ़ते मामलों का सामना कर रहे कर्नाटक में 1.46% टीपीआर के साथ मंगलवार को 1501 मरीज मिले, जबकि केरल में कोविड-19 के मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है और अब राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा 33 लाख को पार कर गया है. कुल मरीजों के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष और केरल दूसरे नंबर पर है.

859 लोग प्रति वर्ग किमी के साथ राज्य का जनसंख्या घनत्व ज्यादा है. साथ ही बुजुर्ग आबादी की संख्या भी ज्यादा है. आंकड़े बताते हैं कि कम से कम 15 प्रतिशत जनसंख्या 60 साल से ज्यादा उम्र की है. इसके अलावा डायबिटीज जैसी बीमारियों के ज्यादा मामलों के चलते राज्य की कोरोना के खिलाफ जंग मुश्किल बनी हुई है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया कि धीमी जांच दर, रैपिड एंटीजन टेस्ट से खास लगाव और नौकरशाही पर निर्भरता जैसे कई कारण भी केरल की कोविड लड़ाई को धीमा कर रहे हैं.

राज्य में ऑक्सीजन वाले बिस्तरों की कमी नहीं है, लेकिन राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था फिर भी दबाव में है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बीते हफ्ते से तुलना की जाए, तो बिस्तरों की मांग 14 फीसदी बढ़ी है और इस हफ्ते 80 प्रतिशत कोविड बिस्तरों पर मरीजों का इलाज जारी था. देश के 30 सबसे प्रभावित जिलों में से 10 केरल के हैं.

सरकार ने पहले ही लगाया था इसका अनुमान!
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि हालात नियंत्रण में हैं. उन्होंने कहा, ‘राज्य में दूसरी लहर देरी से शुरू हुई और राज्य की 50 फीसदी आबादी का अभी कोरोना के संपर्क में आना बाकी है. ऐसे में हमने इस बढ़त का अनुमान लगाया था.’ सीएम ने कहा कि वैक्सीन की कमी राज्य के टीकाकरण कार्यक्रम को प्रभावित कर रही है. एक साक्षात्कार के दौरान राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि यह ट्रेंड ‘असामान्य नहीं’ है. पहली लहर में भी केरल में इसी तरह का पैटर्न देखा गया था. जब कुल आंकड़े गिर रहे थे, तब जनवरी में राज्य के कुल मामलों का 40 फीसदी राज्य में था. हमने इसका अनुमान लगाया है. जॉर्ज ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि दो हफ्तों में मामले कम हो जाएंगे.

केरल में बढ़ते मामलों के बीच विपक्ष भी राज्य सरकार पर हमलावर हो गया है. कई नेता बकरीद के दौरान लॉकडाउन के नियमों में ढील देने को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के नेता संबित पात्रा ने कहा, ‘देश के 50 फीसदी कोविड मामले केरल से आते हैं. इसके लिए ईद पर दी गई ढील का धन्यवाद, लेकिन जैसी उम्मीद थी, चर्चा हमेशा कुंभ या कांवड़ यात्रा के इर्द गिर्द बनाई जाएगी. हम्म… केरल मॉडल.’ विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने सरकार पर कोविड-19 से जुड़े आंकड़ों के साथ हेरफेर करने के आरोप लगाए हैं.

केंद्र की भूमिका क्या
केरल में हालात की निगरानी के लिए केंद्र एक और टीम भेजेगा. सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य सचिव ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिए उन्होंने कंटेनमेंट उपायों के पालन करने पर चिंता जाहिर की है और भीड़ इकट्ठा नहीं होने की बात पर जोर दिया है. जुलाई के पहले हफ्ते में राज्य में पहुंची टीम ने कंटेनमेंट उपायों को लेकर संतुष्टि जाहिर की थी.

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