हाथरस कांड: अब आरोपित परिवार के पक्ष में स्वर्ण समाज के लोग धरने पर

हाथरस। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस का नाम इस समय कुछ ज्यादा ही चर्चा में है। हाथरस का नाम चर्चा में आने का कारण है चंदपा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म। युवती कई दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही और अंत में मंगलवार को उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसके बाद प्रदेश ही नहीं पूरा देश पीड़ित परिवार के साथ आ खड़ा हुआ। साथ ही इस मामले में राजनीति ने भी काफी तूल पकड़ लिया। शुक्रवार को मामले में एक नया मोड़ आ गया जब युवती की मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि न होने के बाद आरोपित परिवार को न्याय दिलाने के लिए स्वर्ण समाज के लोग धरने पर बैठ गए। यहां मौजूद लोगों का कहना है कि एसआईटी जांच निष्पक्ष रुप से हो। यदि हमारे बच्चे दोषी हैं तो उन्हें सजा जरूर दी जाए। निर्दोष न फंसे और दोषी बचने ना पाए।

दरअसल, 14 सितम्बर की सुबह चंदपा कोतवाली इलाके में एक युवती की गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की जाती है। पीड़िता को आनन-फानन में जिला अस्पताल लाया जाता है जिसे वहां से अलीगढ़ रेफर कर दिया जाता है। परिजनों की तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपित युवक संदीप के खिलाफ धारा 307 व एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया। पीड़िता की मां ने बताया था कि वह लोग आनाज काटने गए थे। इसी दौरान गांव का युवक आकर उसकी बेटी को खींच कर ले गया और उसकी गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की। पीड़िता को वारदात के बाद इलाज के लिए अलीगढ़ के जेएन मेडिकल में भर्ती कराया गया था। पुलिस ने उससे बयान लिए और उसने अपने साथ हुई पूरी वारदात के बारे में बताया। मामले में पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म की धारा को भी जोड़ा था। मामले में तीन अन्य लोगों के नाम नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी और एक-एक कर सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सोमवार को पीड़िता की हालत को गंभीर देख्ग्ते हुए उसे दिल्ली के सफदरजंग रेफर किया गया जहां मंगलवार को उसकी मौत हो गई। इसके बाद मामले में उबाल और आ गया। जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गए और साथ ही राजनैतिक दखलअंदाजी भी तेज हो गई। मामले में कांग्रेस से लेकर सपा-बसपा सब उतर आए सभी दलों ने अपनी नाराजगी जाहिर की। युवती का पोस्टमार्टम होने के बाद देर रात्रि उसके शरीर को उसके गांव लाया गया जहां उसका अंतिम संस्कार हुआ। मृतका के परिवारवालों ने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस ने घर में बंद कर दिया था। मृतका के चाचा प्रमोद ने बताया कि वे आखिर में चिता तक किसी तरह पहुंच गए थे, तब 5 कंडे उन्होंने चिता पर डाले। उस वक्त पुलिस वालों ने उन्हें रोककर वीडियो बनाया ताकि लगे कि हम अंतिम संस्कार में शामिल रहे थे। उससे पहले परिवार के लोग सुबह अंतिम संस्कार कराए जाने की तमाम मिन्नतें पुलिस से करते रहे लेकिन उनकी एक भी नहीं सुनी गई। जहां परिवार के लोग घर में बंद किए जाने की बात बता रहे हैं। वहीं, प्रशासन परिवारी जनों के सहयोग से अंतिम संस्कार की बात बता रहा है। अब उसके अंतिम संस्कार को लेकर भी विवाद गरमाया हुआ है।

मामले में पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से बात कर मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा। इसके बाद तुरंत एसआईटी का गठन किया गया और टीम गांव पहुंची। एसआईटी अभी जांच में जुटी हुई है वह जल्द ही रिपोर्ट प्रदेश की आलाकमान को सौपेंगी। गुरुवार को राहुल गांधी व प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने निकले थे लेकिन उन्हें बीच रास्ते में ही हिरासत में ले लिया गया।

निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने वाली सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा गुरुवार को हाथरस पहुंची। उनकी मंशा है कि हाथरस में दरिंदगी की शिकार गुड़िया के पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए। उनके हाथरस पहुंचने पर पुलिस प्रशासन ने गांव से करीब दो किलोमीटर पहले रोक लिया। काफी अनुरोध के बाद उन्हें गांव जाने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि गुड़िया को न्याय मिलेगा, भले देर लग सकती है। निर्भया के केस में भी न्याय मिलने में सवा सात साल का समय लगा था। उन्होंने यह केस बिना फीस के लड़ने की इच्छा जताई है। इस दौरान उनकी प्रशासनिक अधिकारियों से तीखी नोकझोंक भी हुई।

गुरुवार की शाम को हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें जिलाधिकारी पीड़ित परिवार को समझा रहे हैं कि वे अपनी विश्वसनीयता खत्म न करें। मीडिया तो आज है, कल चला जाएगा। अब आपकी इच्छा है कि आपको बार-बार बयान बदलना है कि नहीं। जिलाधिकारी ने आरोपों का खंडन किया है।

युवती की मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद शुक्रवार की सुबह आरोपी परिवार को न्याय दिलाने के लिए स्वर्ण समाज के लोग धरने पर बैठ गए। इन लोगों का कहना है कि मामले में निर्दोषों को फंसाया जा रहा है जिसके विरोध में हम अपनी आवाज उठा रहे हैं। धरने पर बैठे यादराम राघव ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे निर्दोष है। मामले में धाराएं बदली जा रहीं है। उन्होंने कहा कि कई संगठन चाहते है कि स्वर्ण समाज के लोगों को झूठे मामले में फंसा मुआव्जा लिया जाए।

टीएमसी सांसद काकोली घोष शुक्रवार की दोपहर हाथरस पहुंच गई लेकिन उन्हें भी गांव नहीं जाने दिया गया जिसके बाद उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की। पीड़ित परिवार से मिलने गांव जाने की कोशिश कर रहे टीएमसी के डेलिगेशन के साथ धक्का-मुक्की हुई। घोष अभी गांव के निकट ही मौजूद हैं।

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