PM नरेंद्र मोदी ही नहीं आज ही के दिन पैदा हुए थे दक्ष‍िण के आंबेडकर कहे जाने वाले ये समाज सुधारक

आज 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है. आज ही के दिन देश के एक और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ का भी जन्म हुआ था. दक्षि‍ण भारत के आंबेडकर कहे जाने वाले इस समाज सुधारक के बारे में आइए जानते हैं ये खास बाते

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा देश के एक और जाने-माने सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता रामास्वामी पेरियार का जन्म भी 17 सितंबर 1879 में मद्रासी परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम ईवी रामास्वामी नायकर था और वो गांधी से भी प्रभावित थे. पेरियार को दलित और द्रविड़ राजनीति का जनक भी कहा जाता है. दलित चिंतक पेरियार ने जाति और धर्म के खिलाफ सबसे लंबी लड़ाई लड़ी थी. वे दलितों के आदर्श माने जाते हैं. वो साल 1919 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन 1925 में उन्होंने इससे इस्तीफा दे दिया था.

पेरियार का मानना था कि सरकार ब्राह्मण और उच्च जाति के लोगों का हित साधती है. साल 1929-1932 से उन्होंने ब्रिटेन, यूरोप और रूस का दौरा किया. वहीं साल 1939 में वो जस्टिस पार्टी के प्रमुख बने, जो कि कांग्रेस के प्रमुख विकल्प में से एक थी. 1944 में जस्टिस पार्टी का नाम द्रविदर कझकम कर दिया गया. यह पार्टी दो भाग द्रविड़ कझकम और द्रविड़ मुनेत्र कझकम में बंट गई.

उसके बाद उन्होंने 1925 में आत्म सम्मान आंदोलन की शुरुआत की. करीब पचास साल पहले उनकी लिखी ‘सच्ची रामायण’ की वजह से काफी विवाद हुआ था. इस किताब में राम सहित रामायण के कई चरित्रों को खलनायक के रूप में पेश किया गया है.

पेरियार ऐसे क्रांतिकारी विचारक के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने आडंबर और कर्मकांडों पर निर्मम प्रहार किए. उन्होंने जाति प्रथा बरकरार रहने के विरोध में तमिलनाडु को अलग देश बनाने की कल्पना भी पेश की थी.

पेरियार के शैक्षण‍िक पृष्ठ की बात करें तो  उनकी औपचारिक शिक्षा 1884 में छः वर्ष की अवस्था में आरम्भ हुई, और पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई के बाद अध्ययन छोड़कर वो अपने पिता के व्यवसाय में शामिल हो गए. उन्नीस साल की उम्र में उनका विवाह 13 वर्ष की नागम्माल से हुआ, अपनी पत्नी को भी उन्होंने अपने विचारों में दीक्षित किया और पुरानी रूढ़ियों से आजाद कराया.

उनकी एक पुत्री जो इस विवाह से जन्मी थी वो मात्र पांच माह की अवस्था में गुजर गई. उसके बाद उनकी कोई संतान नहीं हुई. दुर्भाग्य से उनका दाम्पत्य भी अधिक लंबा न रहा, और जल्द ही नागम्माल की मृत्यु हो गई. बहुत बाद के वर्षों में 1948 में पेरियार ने दूसरा विवाह किया. बताते हैं कि वो तब 74 वर्ष के थे और उनकी पत्नी मनिम्माल 26 वर्ष की थीं. उनकी दूसरी पत्नी का उनके काम को आगे बढाने में खासा योगदान माना जाता है.

 

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