पराली जलाने पर पीलीभीत में 300 किसानों के खिलाफ एफआईआर, भड़के किसान

सर्दियों से पहले पराली जलाने की वजह से होते प्रदूषण को लेकर सरकार संजीदा दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश में भी इसको लेकर कार्यवाही जारी है। उत्तर प्रदेश में बीते 12 दिन में पराली जलाने की वजह से लेखपाल की शिकायत पर पीलीभीत के अलग अलग थानो में तकरीबन 300 किसानों पर एफआईआर दर्ज कराई गई। इन शिकायतों के खिलाफ जिले में किसान सड़को पर उतर आए हैं। उन्होंने सरकार की नीतियों पर जमकर सवाल उठाये हैं।

पीलीभीत जिले के थाना बिलसंडा ,न्यूरिया ,अमरिया , पूरनपुर, सेरामऊ ,माधोटांडा , जहांनाबाद, गजरौला में तकरीबन 300 किसानो पर लेखपाल के आदेशानुसार एफआईआर दर्ज की गई है। दर्ज हुई एफआईआर के विरोध में बीसलपुर और पूरनपुर तहशील में किसान नेता किसानों के साथ सड़को पर उतर आए है। बीसलपुर में एसडीएम का घेराव कर उन्हें ज्ञापन दिया गया। इसको लेकर जिले की सिटी मजिस्ट्रेट ऋतु पुनिया का कहना है कि पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए NGT की तरफ से मिली गाइड लाइन का ही पालन किया जा रहा है। पराली जलाने को लेकर सभी एसडीएम को आदेश दिए गए है कि पराली जलाने वाले पर तुरंत कार्यवाही की जाये।

धान का मूल्य नहीं, पराली पर मुकदमा दे रही सरकार

गौरतलब है कि धान काट कर खेत मे बचे अवशेष को पराली कहा जाता है। पराली जलाने से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। वहीँ सर्दियों के समय हवा स्थिर रहने की वजह से पराली जलने से बने धुए के कण हवा में ज़्यादा देर तक रहते हैं। इसलिए NGT ने किसी भी हालत में पराली न जलाने के निर्देश दिए हैं। हालाँकि पीलीभीत में धान बीते 15 दिन से कटने लगा है। और खेत को खाली करने के लिए किसान पराली को जला रहे है। पराली जलाने के खिलाफ बने कानून को लेकर किसानो का कहना है कि धान का वाजिव मूल्य मिले इसके लिये कोई कानून नही है , लेकिन पराली जलाने को लेकर मुकदमे ज़रूर दर्ज किए जा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत में किसान पहले से ही बकाया गन्ना भुगतान न मिलने और धान का वाजिब मूल्य न मिलने की वजह से परेशान हैं। बता दें कि बीते वर्ष ईरान को दिए गए बासमती चावल के 1500 करोड़ रूपये अभी तक किसानो को नहीं मिले हैं। इसकी वजह से निर्यातकों से लेकर किसान, सभी परेशान हैं। किसानो का कहना है कि एक तरफ सरकार हमे अन्नदाता कहती हैं, दूसरी तरफ हमारा ही शोषण करती है।

धन के अवशेषो के लिए सोचना सरकार का ज़िम्मा : किसान

एक किसान कुलविंदर ने कहा कि पहले किसान जानवरो से परेशान थे लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। अब पराली जलाने पर झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। कई जगह मुकदमे दर्ज भी किए गए है। ऐसे में धान के अवशेष का क्या करना है, इसके बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए। हमने धान लगाया, लेकिन हमारा धान पड़े पड़े सड़ जाता है। इसका वाजिव मूल्य देकर कोई खरीदना नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि सरकार के अनुसार पराली से प्रदूषण होता है, लेकिन फैक्ट्रियों से नही होता।

अजय देव वर्मा की रिपोर्ट

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