दिल्ली हिंसा: चांदबाग में शाहिद की हत्या के आरोपी की जमानत याचिका खारिज

नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान चांदबाग में शाहिद नामक युवक की हत्या के मामले के आरोपी इरशाद की जमानत याचिका खारिज कर दिया है। एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि स्वतंत्र गवाहों ने आरोपी की पहचान की और उसे दंगाईयों की भीड़ का हिस्सा बताया।

25 फरवरी को दिल्ली पुलिस के पास जीटीबी अस्पताल से एक कॉल आया जिसमें शाहिद की मौत की सूचना मिली। दयालपुर थाने के एएसआई राजिंदर अस्पताल पहुंचे और शाहिद की एमएलसी करवाई। उसके बाद एफआईआर दर्ज किया गया। 8 मार्च को ये केस आगे की जांच के लिए एसआईटी को ट्रांसफर कर दिया गया। जांच में पाया गया कि शाहिद को 24 फरवरी को शाम चार बजे के करीब सप्तऋषि इस्तपाल एंड एलॉय प्राईवेट लिमिटेड की छत पर गोली लगी थी। ये बिल्डिंग चांदबाग के वजीराबाद रोड पर स्थित है। इस बिल्डिंग के सामने ही विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा था। प्रदर्शनकारियों ने 24 फरवरी को दोपहर एक बजे पुलिस बल पर हमला किया था जिसमें हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत हो गई थी और शाहदरा के डीसीपी अमित कुमार शर्मा, गोकलपुरी के एसीपी अनुज कुमार समेत करीब 50 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

पुलिस पर हमला होने के बाद दूसरे समुदाय के लोग उत्तेजित हो गए यमुना विहार से काफी संख्या में लोग आकर प्रदर्शनकारियों वपर हमला किया जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सप्तऋषि बिल्डिंग समेत आसपास के बिल्डिंग में शरण ली। जांच के दौरान सप्तऋषि बिल्डिंग का एक वायरल वीडियो मिला जिसमें आरोपी को घटनास्थल पर मौजूद देखा गया।

आरोपी की ओर से वकील सलीम मलिक ने कहा कि उसे झूठो तरीके से फंसाया गया है। वो पिछले 1 अप्रैल से न्यायिक हिरासत में है। उन्होंने कहा कि आरोपी घटना वाले दिन घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। आरोपी का नाम एफआईआर में मौजूद नहीं है। उन्होंने चश्मदीद गवाहों मुकेश, नारायण और अरविंद कुमार के बयानों को झूठा बताया। तीनों के बयान पुलिस ने हूबहू एक ही लिखा है। आरोपी की पहचान परेड भी नहीं कराई गई। कांस्टेबल अमित और आजाद के बयान भी आरोपी की घटनास्थल पर मौजूदगी स्पष्ट नहीं करती है। गवाहों ने घटना के बाद पुलिस को कॉल भी नहीं किया था। आरोपी को किसी भी सीसीटीवी फुटेज में नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।

दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी की चश्मदीद गवाह ने पहचान की है। आरोपी की पहचान बीट कांस्टेबल अमित और आजाद ने भी की है। उन्होंने कहा कि आरोपी की ओर से ये नहीं बताया गया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड घटनास्थल के पास का कैसे है। उन्होंने कहा कि इस मामले के सह-आरोपी रईस खान ने 11 मार्च को अपने बयान में बताया कि आरोपी घटना वाले दिन घटनास्थल पर मौजूद था। उन्होंने कहा कि इस मामले के सह-आरोपियों जुनैद, रईस खान और मोहम्मद फिरोज की जमानत याचिका कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है।

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